गोरखपुर: भारत सहित पूरे विश्व के लिए प्लास्टिक एक बड़ी समस्या है. इस समस्या से निपटने के लिए उपाय भी खोजे जा रहे हैं. ऐसा ही एक उपाय गोरखपुर के शिवम पांडेय ने खोज निकाला है. शिवम ने प्लास्टिक का सही उपयोग कर एक ऐसा ईंधन तैयार किया है, जो पेट्रोल और डीजल का काम करेगा. जी हां, अब वह दिन दूर नहीं जब हम आप पेट्रोल-डीजल की बजाय प्लास्टिक से बने ईंधन का प्रयोग कर अपनी गाड़ियों से रफ्तार भरेंगे.
पर्यावरण के लिए मुसीबत बन चुके प्लास्टिक कचरे से बचने के लिए गोरखपुर के शिवम ने पेट्रोलियम पदार्थ यानी की कच्चा तेल बनाया है. युवा वैज्ञानिक शिवम पांडेय के इस शोध को भारत सरकार ने भी मान्यता दे दी है और उसका फार्मूला भी पेटेंट हो गया है. चार साल की कड़ी मेहनत के बाद शिवम को यह सफलता मिली है. उन्होंने यह प्रयास कक्षा 10 से ही शुरू कर दिया था.
बैंक ऑफ इंडिया ने अप्रूव किया लोन
आर्थिक रूप से कमजोर शिवम को गोरखपुर में लोन और प्लांट के लिए जमीन की समस्या आ रही थी, लेकिन अब उस समस्या को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने हल कर दिया है. शिवम के पेटेंट का सर्टिफिकेट आने के बाद यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने उनका लोन अप्रूव कर दिया है, जिसके बाद शिवम का प्रोजेक्ट गोरखपुर में शुरू हो जाएगा. इस तेल को विभिन्न स्तर पर प्यूरिफाई करते हुए पेट्रोल, डीजल, केरोसिन ऑयल भी तैयार हो सकेगा. अगर शोध का समर्थन और संवर्धन हुआ तो भारत में पेट्रोलियम की प्रचुरता होनी निश्चित है.
शिवम ने घर पर किया परीक्षण
शिवम बताते हैं कि उन्होंने जब जलते हुए प्लास्टिक से तेल जैसा द्रव्य गिरता देखा तो उन्हें विचार आया कि हाइड्रोकार्बन को भी तोड़ा जा सकता है. इसी कड़ी में उन्हें प्लास्टिक और पॉलीथिन को भी डीकंपोज करने का ख्याल आया. शिवम ने इसका परीक्षण घर पर ही किया और सफलता प्राप्त की, जिससे वह अपनी सोच को आगे बढ़ाता चला गया. ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में शिवम ने हाइड्रोकार्बन को तोड़ने की सभी स्टेज के बारे में बहुत बारीकी से बात की. साथ ही कहा कि जब यह शोध पूरा हुआ तो उन्होंने कई बार जांच की और फिर इसके सफल होनी की पुष्टि की. मौजूदा समय में शिवम बीएससी कर रहे हैं.