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गोरखपुर: शहीद बाबा के आस्ताने से अगरबत्ती लेने पर मुसाफिरों का सफर होता है सुहाना

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में शहीद बाबा की मजार गंगा-जमुनी तहजीब का केंद्र बनी हुई है. राहगीरों की ऐसी मान्यता है कि प्रसाद के रूप में अगरबत्ती ले जाने से सफर में दिक्कतें नहीं आती हैं.

मजार बना गंगा-जमुनी तहजीब का मिसाल.

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Published : Nov 23, 2019, 12:34 PM IST

गोरखपुर: गोरखपुर-महराजगंज जनपद को जोड़ने वाले मुख्य मार्ग पर बरगदहीं स्थित शहीद बाबा की मजार हिन्दू-मुस्लिम सहित सभी वर्ग के लोगों के लिए आस्था का केन्द्र ही नहीं, बल्कि गंगा-जमुनी तहजीब का अनोखा संगम भी मानी जाती है. इस रास्ते से आने-जाने वाले राहगीर अगरबत्ती प्रसाद के रूप में अपने साथ लेकर ही आगे बढ़ते हैं.

मजार बनी गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल.

हमारी संस्कृति ही भारत देश की पहचान है, जिसमें गंगा-जमुनी तहजीब का संगम हमारे संस्कारों की भव्यता को और मनमोहक बना देता है. बात अगर आस्था से जुड़ी है तो सिर्फ विश्वास रखना ही काफी है. इसका प्रत्यक्ष प्रमाण जनपद के बरगदहीं स्थित शहीद बाबा का आस्ताना देता है. यहां पर हिन्दू-मुस्लिम सभी धर्म के लोग आस्था रखते हैं. यहां गंगा-जमुनी तहजीब का संगम देखने को मिलता है.

प्रसाद के रूप में ले जाते हैं अगरबत्ती
मुरादें पूरी होने पर हर वर्ग के लोग चादर और मुर्गा प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं. उधर से गुजरने वाले सभी धर्म के मुसाफिरों की सवारी साधनों में ब्रेक लग जाता है. लोग आस्ताने से अधजली अगरबत्ती प्रसाद के रूप में लेकर ही आगे बढ़ते हैं. अगरबत्ती को प्रसाद के रूप में लेने वाले राहगीरों में ऐसी आस्था है कि इससे उनका सफर सुहाना हो जाता है और मंजिल तक पहुंचने के लिए बाबा की कृपा बनी रहती है. रास्तों में आने वाली बला टल जाती है.

अगरबत्ती लेने पर सफर होता है सुहाना
गोरखपुर-महराजगंज फोरलेन पर बरगदहीं स्थित शहीद बाबा का आस्ताना क्षेत्र में काफी चर्चित है. उस रास्ते से गुजरने वाले अधिकतर राहगीर अपनी गाड़ियों को रोक कर अधजली अगरबत्ती को इच्छा के मुताबिक कीमत दान देकर लेते हैं. ऐसी उनकी मान्यता है कि वहां से अगरबत्ती लेने पर सफर में आने वाली बलाएं शहीद बाबा की कृपा से टल जाती है.

क्या कहते है जिम्मेदार
वहां के इमाम हाफिज मुहम्मद ग्यासुद्दीन बताते हैं कि सदियों पहले यहां कुछ नहीं था. यहां बिल्कुल सुनसान सिंगल सड़क थी. इक्का-दुक्का गाड़ियों का आवागमन होता था. एक बार इसी रास्ते से रात के दूसरे पहर में एक गाड़ी वाला गुजर रहा था. वाहन चलाते समय उसको नींद आ गई. उसकी गाड़ी हादसे का शिकार होते-होते बच गई. वह व्यक्ति रुका और आस्ताने पर जो लोग मौजूद थे उनको बताया कि वाहन चलते समय मुझको नींद आ गई थी. मुझको ऐसा महसूस हुआ कि मेरे पीछे कोई बुजुर्ग आकर खड़ा हो गया, जिसने हमारी गाड़ी का हादसा होने से बचा लिया. उसने वहीं अगरबत्ती जलाई. तभी से अगरबत्ती लेने का सिलसिला शुरू हुआ.

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राहगीर मुकुल गुप्ता का मानना है कि अगरबत्ती के रूप में बाबा की दुआएं लेते हैं. यह हमारी श्रद्धा है. हम जब भी इधर से गुजरते हैं रुक कर बाबा को सलामी देकर ही आगे जाते हैं.

यहां के लोगों में सदियों से ऐसी मान्यता है कि बाबा से जो भी लोग मन्नते मांगते हैं वह पूरी होती है. पूरी होने के बाद वह यहां आकर प्रसाद चढ़ाते हैं. लगभग हर वर्ग के लोग यहां आते हैं और यहां किसी के लिए कोई भेदभाव नहीं है. हिन्दू-मुस्लिम सबकी आस्था बाबा से जुड़ी है.
-सर्वेश सिंह, ग्राम प्रधान

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