गोरखपुरः पंचयात चुनाव के आरक्षण में तहसीलदार की रिपोर्ट ने बड़ा बवंडर ला दिया है. आरक्षण की सूची में जो गांव अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित किये थे ऐसे गांवों और क्षेत्र पंचायतों में इस जाति के लोग ही निवास नहीं करते. जिसके बाद जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक बैठककर पंचायतराज विभाग ने शासन को पत्र भेजा और आरक्षण की इस समस्या से अवगत कराया है. खास बात यह है कि पंचायत चुनाव के आरक्षण में जिस वर्ग का एक भी व्यक्ति या महिला उस गांव में नहीं हैं वह भी आरिक्षत हो गया है. जिससे चुनाव को लेकर पेंच फंस गया है. तहसीलदार की रिपोर्ट के बाद एसटी आरक्षण वाले छह गांवों और कुछ क्षेत्र पंचायत, ग्राम पंचायत वार्डों में चुनाव पर संशय बन गया है. यही वजह है कि स्पष्ट मार्गदर्शन के लिए जिलाधिकारी की ओर से अपर मुख्य सचिव और पंचायती राज निदेशक को पत्र लिखा गया है. इन गांवों में तहसील प्रशासन के मुताबिक वर्तमान में कोई भी व्यक्ति एसटी वर्ग से नहीं है, जिससे ये पद खाली रह सकते हैं.
तहसील की रिपोर्ट से आया भूचाल
आरक्षण की 2011 की जनगणना के आधार पर तय किया गया था. जिले स्तर पर इसमें बदलाव नहीं हो सकता था. जिसके कारण वर्तमान में इस वर्ग की आबादी न होने के बावजूद पद आरक्षित कर दिया गया. जनगणना के अनुसार, जंगल कौड़िया में 689, कोल्हुआ में 61, गायघाट में 10, महुअलकोल में 89, चंवरिया बुजुर्ग में 345 व चंवरिया खुर्द में 132 लोग एसटी वर्ग के हैं. जिलाधिकारी के निर्देश के बाद तहसीलों की ओर से भेजी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि इन गांवों में एसटी की आबादी अब नहीं है. वहीं तहसील की रिपोर्ट पर भी सवाल उठने लगे हैं. सवाल यह है कि जब 2015 में एसटी की आबादी थी तो अब कैसे नहीं हो सकती. वर्ष 2015 के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जंगल कौड़िया ब्लॉक में क्षेत्र पंचायत वार्ड नंबर-22 का पद इसी वर्ग के लिए आरक्षित था. यहां इस वर्ग का कोई व्यक्ति न होने से यह सीट खाली रह गई थी, जो पद खाली होते हैं, वहां त्रिस्तरीय कमेटी गठित कर उसे वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकार दिए जा सकते हैं.