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गोरखपुर: बेटे का शव न देने पर परिजनों का अस्पताल में हंगामा - health facility in gorakhpur

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में एक निजी अस्पताल में जमकर हंगामा हुआ. बेटे का इलाज कराने आए परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों की लापरवाही से उसकी मौत हो गई. अब डॉक्टर बेटे का शव नहीं दे रहे हैं. वहीं डॉक्टर का कहना है कि इलाज के दौरान हुए खर्च को मरीज के परिजनों ने नहीं चुकाया है. सूचना पर पहुंची पीआरबी और थाने की पुलिस ने अस्पताल से शव दिलवा कर परिजनों को समझा बुझाकर घर भेज दिया.

परिजनों ने मरीज का शव न देने पर अस्पताल में किया हंगामा

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Published : Jul 29, 2019, 10:49 AM IST

गोरखपुर : महराजगंज के कोतवाली थाना के बागापार टोला विशुनपुरवा निवासी जयहिंद यादव का 17 बर्षीय पुत्र धनंजय की बुधवार की रात अचानक तबियत खराब हो गई. घरवाले उसे महराजगंज जिला अस्पताल लेकर गये. गंभीर हालत को देखते हुए चिकित्सकों ने उसे गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया.

परिजनों ने मरीज का शव न देने पर अस्पताल में किया हंगामा.

गोरखपुर मेडिकल कॉलेज से दो किमी पहले झुंगिया बाजार के पास एम्बुलेंस चालक उन्हें निजी हॉस्पिटल में लेकर चला गया, उसने बताया कि यह अस्पताल बहुत अच्छा है. वहां हॉस्पिटल के डॉक्टर ने मरीज को आईसीयू मे भर्ती कर दिया. जहां उसकी मौत हो गई. परिजनों का आरोप है कि पैसा देने के बाद भी वह और पैसे की मांग कर रहे थे और शव नहीं दे रहे थे.

जानिए पूरा मामला -

  • गुलरिहा इलाके के झुर्गिया बाजार कस्बे मे स्थित सरकार हॉस्पिटल में मरीज की मौत के बाद हंगामा हो गया.
  • कोतवाली थाना के बागापार टोला विशुनपुरवा निवासी जयहिंद यादव के बेटे की तबियत अचानक खराब हो गई.
  • उसे जिला अस्पताल ले कर गए जहां चिकित्सकों ने उसे गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया.
  • गोरखपुर मेडिकल कॉलेज से दो किमी पहले झुंगिया बाजार पहुंचे तो एम्बुलेंस चालक ने सरकार हास्पिटल में पहुंचा दिया.
  • चालक ने अच्छा अस्पताल बता कर मरीज को आईसीयू मे भर्ती करा दिया.
  • घरवालों का कहना है कि हॉस्पिटल में उन्होंने आठ हजार रुपये जमा कर दिए थे.
  • अस्पताल में मरीज की मौत हो गयी. ़
  • मरीज की मौत के बाद डॉक्टर 18 हजार रुपये की मांग कर रहे थे और शव नहीं दे रहे थे.
  • इसी बात को लेकर हॉस्पिटल के कर्मचारियों व परिजनों में झड़प हो गयी.
  • घरवालों ने 100 डायल कर पुलिस को सूचना दी.
  • मौके पर पीआरबी तथा गुलरिहा पुलिस भी पहुंच कर परिजनों को समझा बुझाकर शव दिलवा कर घर भेज दिया.

जब मरीज आया था तब उसकी कंडीशन खराब थी. शाम को ही मरीज को ले जाने के लिए कहा गया तो परिजन सुबह ले जाने की बात कहने लगे. सुबह तक हिसाब 18 हजार रुपये बन चुका था. जिसमें छह हजार डिस्काउंट कर दिया गया. आखिरी तक उन्होंने एक रुपया नहीं दिया. मरीज ले जाते समय उसकी मौत नहीं हुई थी. उसका हम लोगों ने ईसीजी भी किया है. जो हमारे ऊपर आरोप लगा रहे है ये पूरी तरह गलत है. मैने पोस्टमार्टम करने के लिए भी कहा. ईसीजी करते समय का मेरे पास सीसीटीवी फुटेज भी मौजूद है -डॉक्टर मेराज, संचालक

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