उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

कोरोना के सभी मरीजों में नहीं बनती एंटीबॉडी, शोध में हुआ खुलासा - up news

बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में इस बात की पुष्टि हुई है कि कोरोना पॉजिटिव पाए गए मरीजों में ठीक होने के उपरांत एंटीबॉडी नहीं बनती. दरअसल, यह शोध माइक्रोबायोलॉजी विभाग में दोबारा संक्रमित हुए तीन लैब टेक्नीशियन के ऊपर हुआ था. इनमें से दो में एंटीबॉडी नहीं बनी थी.

आईसीएमआर.
आईसीएमआर.

By

Published : Dec 17, 2020, 5:32 PM IST

गोरखपुर:कोरोना पॉजिटिव पाए गए सभी मरीजों में ठीक होने के उपरांत एंटीबॉडी नहीं बनती. इसकी पुष्टि बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज (BRD) गोरखपुर के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में शोध के दौरान हुई है. यह शोध माइक्रोबायोलॉजी विभाग में दोबारा संक्रमित हुए तीन लैब टेक्नीशियन के ऊपर हुआ था. इनमें से दो में एंटीबॉडी नहीं बनी थी. इस शोध के रिसर्च पेपर को लंदन के जर्नल ऑफ एडवांस इन मेडिसिन एंड मेडिकल रिसर्च ने स्वीकार कर लिया है. इससे बीआरडी के शोध पर अंतरराष्ट्रीय वैधता की मुहर लग गई है. माइक्रोबायोलॉजी विभाग को इसकी जानकारी जर्नल ने मेल के जरिए दिया है. इससे यहां के शोधकर्ता उत्साहित हैं.

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में कोरोना संक्रमण के नमूनों की जांच होती है. जहां काम करने वाले तीन टेक्नीशियन एक माह में दोबारा संक्रमित हो गए थे. ऐसा होने पर विभाग के मुखिया को एंटीबॉडी को लेकर संदेह हुआ. फिर क्या था विभाग ने अपने इन टेक्नीशियनों का सैंपल लिया और एंटीबॉडी टेस्ट किया, जिनमें एंटीबॉडी बनी ही नहीं थी. इस शोध से यह निष्कर्ष निकला कि कोरोना संक्रमित ऐसे लोग दोबारा संक्रमित हो सकते हैं, जिनके अंदर एंटीबॉडी नहीं बन रही. यही वजह है कि लैब में 200 अन्य मरीजों पर अपना शोध प्रारंभ किया और नतीजे चौंकाने वाले आए.

200 मरीजों पर हुए शोध में चौंकाने वाले नतीजे

करीब 3 महीने के अंदर 200 अन्य मरीजों पर शोध किया गया. इसमें पता चला कि 10 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी बन ही नहीं रही. 4 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी बिल्कुल नहीं बनी, जबकि 6 फीसदी में यह पर्याप्त ही नहीं थी. चिकित्सकों का मानना है कि इन लोगों के दोबारा संक्रमित होने का खतरा है. बीआरडी मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ अमरेश सिंह का कहना है कि जर्नल आफ एडवांस इन मेडिसिन एंड मेडिकल रिसर्च ने उनके रिसर्च पेपर को स्वीकार करके उनके शोध को प्रमाणिकता प्रदान किया है. जिससे यहां के शोध को अंतरराष्ट्रीय महत्व मिला है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details