गोरखपुर: सीएम योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर नगर निगम की स्थापना हुए 30 साल से ज्यादा हो गए, लेकिन अभी भी यह निगम क्षेत्र कचरा मुक्त बनने और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए अपने अस्थायी ठिकाने को बना पाने में असमर्थ है. शहर से निकलने वाला कचरा चाहे गीला हो या सूखा, उसे नगर निगम की गाड़ियां राप्ती नदी के तटबंध पर या फिर महेसरा ताल के किनारे गिराती हुई नजर आती है. इसका यहां के स्थानीय लोग जमकर विरोध भी करते हैं. वहीं सीवरेज के मामले में यह शहर बाकी नगर निगमों से काफी पीछे है.
गोरखपुर में नहीं है सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की स्थायी व्यवस्था. 14 साल पहले बनी थी योजना
गोरखपुर में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की योजना करीब 14 साल पहले बनी थी. वर्ष 2006 में सीएनडीएस को सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लगाने के लिए 12 करोड़ का बजट भी दिया गया था. इस योजना को वर्ष 2012 में पूरा करने का लक्ष्य था. इसके तहत शहर के कचरे का समुचित प्रबंधन करना था और घर-घर जाकर कूड़ा समेटने का काम भी प्लांट लगाने वाली कंपनी को करना था, लेकिन इन 6 सालों में जमीन फाइनल नहीं हो पाई.
राप्ती नदी के किनारे कचरा डाल रहा प्रशासन
नगर निगम ने वर्ष 2010 में महेसरा ताल के किनारे करीब 12 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित कर निर्माण के लिए कार्यदायी संस्था जल निगम को सौंपा, लेकिन यह संस्था भी कार्य पूरी नहीं कर सकी. इस जगह पर कूड़े-कचरे का इतना ढेर गिरने लगा कि आसपास बीमारियां फैलने लगी. लोग आंदोलित हुए तो नगर निगम राप्ती नदी के किनारे एकला बंधे पर कचरा डालने लगा, हालांकि इसका भी लोगों ने खूब विरोध किया.
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इस समस्या को देखते हुए मुख्यमंत्री की पहल पर नगर निगम और जिला प्रशासन ने मिलकर एक बार फिर प्रयास किया. इसके बाद जिले के भटहट ब्लॉक के जंगल डुमरी नंबर दो में 25 एकड़ जमीन सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए नगर निगम को जिला प्रशासन ने उपलब्ध करा दी है. यहां प्लांट लगाने के लिए नगर निगम ने सीएनडीएस कार्यदायी संस्था को पत्र भेजकर सूचित कर दिया.
जल्द शुरू होगा प्लांट लगाने का काम
गोरखपुर के मेयर सीताराम जयसवाल ने कहा है कि प्लांट लगाने का कार्य शीघ्र प्रारंभ हो जाएगा. जिसकी पूरी प्रक्रिया शासन स्तर पर पहुंचा दी गई है. वहीं नगर आयुक्त अंजनी कुमार सिंह ने कहा है कि सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट के लग जाने से जहां कूड़े कचरे का निस्तारण होगा, वहीं इसके माध्यम से नगर निगम को आय होने की भी उम्मीद है. उन्होंने कहा कि कचरे से जो कंपोजिट खाद बनाई जाएगी, उसका एक बड़ा बाजार तैयार होगा.
सीवरेज सिस्टम से युक्त होगा गोरखपुर
नगर निगम क्षेत्र में सीवरेज सिस्टम को लागू करने के लिए 350 करोड़ रुपये का कार्य दो फेज में चल रहा है. इसमें शहर के झारखंडी और मोहदीपुर क्षेत्र में कार्य की प्रगति देखी जा सकती है. मेयर सीताराम ने कहा है कि सीवरेज सिस्टम को एसटीपी से जोड़ा जाएगा, जिससे किसी भी तरह का कोई प्रदूषण न होने पाए. उन्होंने उम्मीद जताई कि गोरखपुर शहर आने वाले समय में पूरी तरह से सीवरेज सिस्टम से युक्त हो जाएगा, क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस पर विशेष नजर है.
नगर आयुक्त ने कही इनकम बढ़ाने की बात
वहीं नगर आयुक्त अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि शहर में 35 प्रतिशत सीवरेज सिस्टम था, जिसे और आगे बढ़ाने के क्रम में जल निगम कार्य कर रहा है. उन्होंने कहा कि लिक्विड मैटेरियल को शोधित करके उसे रामगढ़ ताल से जोड़ा जाएगा. सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम के बन जाने के बाद कचरे से उन तत्वों को छांट दिया जाएगा, जिनको रिसाइकिल करके नगर निगम अपनी कुछ इनकम बढ़ा सकता है.
कचरे से स्थानीय लोग हैं परेशान
वहीं मौजूदा समय में महेसरा ताल और एकला बंधे पर कूड़ा-कचरा गिराया जा रहा है. वहां के लोगों ने अपनी आपबीती सुनाते हुए इसे आम जनजीवन के लिए बड़ा ही खतरनाक बताया. लोगों ने इसे जल्द ही इसे सुदूर स्थापित करने की मांग की है.