गोरखपुर: कोरोना के संक्रमण को रोकने में देश की प्रमुख संस्था आईसीएमआर (Indian Council of Medical Research) ने अहम भूमिका निभाया है. इसकी क्षेत्रीय यूनिट जो रीजनल मेडिकल एंड रिसर्च सेंटर (RCMR) के नाम से जानी जाती है उसका भी बड़ा महत्व है. गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज परिसर में RCMR केंद्र स्थापित है. इसने भी कोरोना संक्रमण से बचाव और अन्य जांच को लेकर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
RCMR में मरीजों को मिल रही बेहतर सुविधा. यह संस्था हालांकि गोरखपुर में वर्ष 2008 में स्थापित की गई थी, तब इसका उद्देश्य इंसेफलाइटिस की बढ़ती महामारी को रोकने के लिए शोध पर कार्य करना और उसके परिणाम के अनुकूल महामारी के रोकथाम के उपाय सुझाना था. जिसका परिणाम है कि महामारी का रूप ले चुका इंसेफेलाइटिस पूर्वांचल से आज खत्म होने के कगार पर है, लेकिन मेडिकल साइंस की जरूरतों को पूरा करने के लिए स्थापित हुआ यह सेंटर कोविड-19 में भी अपनी बड़ी भूमिका अदा कर रहा है.
कोविड 19 से बचाव में RCMR निभा रहा अहम भूमिका. जिले में मात्र 2 केस मार्च के महीने में आए वर्ष 2020 के जनवरी माह से कोविड-19 का पता देश में चला. गोरखपुर में मात्र 2 केस मार्च के महीने में आए थे. तब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर RCMR सेंटर में कोविड-19 के जांच की व्यवस्था शुरू करने की पहल शुरू हुई. इसके लिए आईसीएमआर ने अपनी अनुमति दी, लेकिन पहला केस वाया लखनऊ, पुणे जांच के लिए भेजना पड़ा. इस बीच आईसीएमआर ने जहां कोरोना की जांच के लिए पूरे देश में 2400 से अधिक सेंटर खोलें, वहीं गोरखपुर सेंटर ने पिछले 1 साल में करीब 3 लाख 75 हजार टेस्ट किए. यहां 5000 से अधिक पॉजिटिव केसेज भी जांच में पाए गए.
मरीज की सेवा में लगे डॉक्टर. नई स्टडी तैयार करके शोध को आगे बढ़ाया
केंद्र के निदेशक का पद डॉ. रजनीकांत संभाल रहे हैं. वह अधिकांश समय दिल्ली के आईसीएमआर कार्यालय में कोविड कमांड और शोध की गतिविधियों के लिए देते हैं. हालांकि गोरखपुर केंद्र के निदेशक होने की वजह से यहां उनकी निगरानी बनी रहती है. इस महामारी के बीच उनका आना गोरखपुर हुआ, तो ईटीवी भारत ने उनसे इस केंद्र के महत्व पर चर्चा की.
लोगों को लगाई जा रही है कोरोना वैक्सीन. डॉ. रजनीकांत ने बताया कि इस केंद्र की पहल पर ही कोविड-19 में सीरो सर्वे जैसा अभियान चलाया गया. इसके माध्यम से यह पता चला कि कितने लोगों में कोविड-19 का एक्सपोजर हुआ है. इसके हिसाब से नई स्टडी तैयार करके शोध को आगे बढ़ाया गया. शोध के आधार पर आईसीएमआर ने वैक्सीनेशन को इसके लिए प्रभावी और उपयुक्त बताया. उन्होंने कहा कि इस सेंटर से प्रसव के बाद आने वाली समस्याओं और सिग्मा पर भी अध्ययन का कार्य हुआ. क्लीनिकल ट्रायल में आईसीएमआर का बड़ा योगदान है, जिसमें गोरखपुर का यह रीजनल सेंटर भी अपना योगदान देता है.
कोरोना की लड़ाई में आईसीएमआर की अहम भूमिका
डॉ. रजनीकांत ने बताया कि कोरोना की लड़ाई में आईसीएमआर का जितना अहम भूमिका रहा है, उसमें भारत सरकार के अन्य विभागों ने भी अपना बड़ा सहयोग दिया है. मौजूदा समय में कोरोना वायरस के मामले और संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए उन्होंने कहा कि लोगों को लापरवाही नहीं बरतनी होनी है. भीड़-भाड़ से बचना होगा. क्योंकि कोरोना से बचाव को लेकर मेडिकल साइंस में अभी तक किसी दवा को अप्रूवल नहीं मिला है. मात्र ट्रायल ही चल रहा है.
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वैक्सीनेशन से मृत्यु दर में आएगी कमी
डॉ. रजनीकांत ने बताया कि कोविड के लिए वैज्ञानिक आधार पर भी किसी दवा को उपयुक्त नहीं पाया गया है. सिर्फ वैक्सीनेशन को ही इसमें उपयुक्त माना जा रहा है. इसके लग जाने के बाद अगर किसी में कोरोना का संक्रमण होता भी है, तो उसके वेंटिलेटर पर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. मतलब साफ है कि वैक्सीन मौत से बचने में काम आएगी. उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि लोग वैक्सीनेशन कराएं, लेकिन सावधानी यह भी अपनाएं की वैक्सीनेशन के बाद वह कोविड के प्रोटोकॉल के सभी नियमों का पालन करेंगे. तभी खुद को सुरक्षित और लोगों को भी सुरक्षित रख पाएंगे.