गोरखपुर: अयोध्या में 22 जनवरी को भगवान राम के मंदिर का उद्घाटन और प्राण प्रतिष्ठा समारोह होगा. इसको लेकर देशभर में ऐसे राम भक्तों की चर्चा हो रही है जिन्होंने इसके लिए न तो उम्र की परवाह की और ना ही जेल जाने की. गोलियों के खौफ को भी चीरते हुए ऐसे लोगों ने राम मंदिर आन्दोलन को धार दी, जिसका परिणाम है आज एक भव्य राम मंदिर का निर्माण. उसी कड़ी में गोरखपुर के बृजेश राम त्रिपाठी का भी नाम शामिल है.
आंदोलन के दौरान बृजेश राम त्रिपाठी 9वीं के छात्र थे. 14 वर्ष की उम्र में वह अपने शिक्षकों से राम मंदिर आंदोलन की चर्चा से ऐसा प्रभावित हुए कि, वह गोरखपुर से अपने साथियों का एक जत्था साइकिल से लेकर अयोध्या पहुंच गए. वहां अशोक सिंघल का उन्हें स्नेह मिला. महंत अवेद्यनाथ और रामचंद्र परमहंस का ने भी मार्गदर्शन दिया, जिसे लेकर वह गोरखपुर क्षेत्र में अभियान को आगे बढ़ाने में जुट गए.
बजरंग दल के कार्यकर्ता के रूप में वह एक राम भक्त बनकर अपनी सेवा को पूरा करने में जुट गए. तब उनके ऊपर बजरंग दल के प्रभारी की भूमिका थी. आज भी वह राम ज्योति जलाकर इस अभियान के पूरे होने के लिए जीते हैं. हर दिन भजन कीर्तन इनकी टीम गाती है. इनके कार्यालय में राम सेतु का पत्थर भी है, जो हर दिन पूजा जाता है. बृजेश अब यह देखकर बेहद खुश हैं कि भगवान राम को स्थायी घर मिलने जा रहा है.
उन्होंने बताया कि निहत्थे कार सेवकों पर मुलायम सिंह यादव की सरकार में जो गोलियां बरसाई गई थीं वह एक-एक राम भक्त के हृदय को भेदने में असर की थी. जिसका परिणाम था कि 6 दिसंबर 1992 को बाबरी ढांचा को राम भक्तों ने गिरा दिया. पढ़ाई के दौरान क्लास में शिक्षक से जब राम मंदिर आंदोलन की बात सुनी, तो मन में यही भाव जगा कि अपने देश में भगवान राम का मंदिर नहीं बन पा रहा. उसके लिए आंदोलन करना पड़ रहा.
फिर क्या था अपने साथियों के साथ अयोध्या कूच कर दिया. जहां अशोक सिंघल जैसे राम भक्त देशभक्त के अलावा महंत अवेद्यनाथ और रामचंद्र परम हंस दास ने जो उनमें ऊर्जा भरी. उसके बल पर वह आंदोलन को गति देने में चार बार जेल गए. उन्हें भले ही 68 दिन जेल में गुजारने पड़े लेकिन वह आंदोलन में डटे रहे और पीछे मुड़कर नहीं देखा.