गोरखपुरः आगामी विधानसभा चुनाव 2022 (Uttar Pradesh Assembly election 2022 ) के मद्देनजर 31 अक्टूबर को प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) गोरखपुर में प्रतिज्ञा यात्रा (Pratigya Yatra) रैली के माध्यम से कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने पहुंच रहीं हैं. इसकी तैयारी के लिए उन्होंने अपने कई नेताओं को गोरखपुर भेज रखा है. इस रैली की तैयारियां अंतिम चरण में चल रही हैं. इस बीच बस्ती के बीजेपी सांसद हरीश द्विवेदी की भाभी कांग्रेस में शामिल हो गईं हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बीजेपी के गढ़ गोरखपुर में प्रियंका गांधी की इस रैली ने बीजेपी की बेचैनी बढ़ा दी है. अब यह रैली कितनी सफल रहेगी इसकी असली तस्वीर आगामी विधानसभा चुनाव में ही निकलकर सामने आ पाएगी.
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की एक बड़ी रैली 5 सितंबर 2016 को देवरिया जिले के रुद्रपुर विधानसभा क्षेत्र में हुई थी जिसे खाट सभा का नाम दिया गया था. उसमें राहुल गांधी ने प्रतिभाग किया था. उसके माध्यम से कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने की पूरी कोशिश की गई थी लेकिन भितरघात और स्थानीय लोगों के उत्पात से यह सभा चौपट हो गई थी. मिठाई और पानी सब लूट लिया गया था और जब चुनाव हुआ तो कांग्रेस पूरी तरह से इस क्षेत्र में सिमट गई. सिर्फ कुशीनगर की तमकुहीराज विधानसभा सीट पर पार्टी जीतने में कामयाब रहा, जहां से मौजूदा समय में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू विधायक हैं. 2017 से अब तक कांग्रेस के प्रति माहौल में परिवर्तन महसूस किया जा रहा है.
इसके पीछे प्रियंका गांधी का व्यक्तित्व, परिश्रम, महिलाओं, बेटियों को लेकर उनकी घोषणाएं अहम साबित हो रहीं हैं. साथ ही किसानों और बेरोजगारों के प्रति उनकी हमदर्दी भी बदलाव के समीकरण के रूप में देखी जा रहीं हैं. अब यह कहा जा रहा है कि यह समीकरण तभी सफलता की कहानी रच पाएगा जब कांग्रेस के कार्यकर्ता घर-घर अपनी पहुंच बना पाएंगे. बीजेपी और सपा की तैयारी की तुलना में कांग्रेस की तैयारी काफी कमजोर नजर आ रहे हैं. संगठन के पास समर्पित कार्यकर्ताओं का अभाव है.
गोरखपुर जिले की कांग्रेस इकाई की कमान निर्मला पासवान के पास है. उन्हें वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पुरुष पचा नहीं पाते हैं. इस वजह से पार्टी को इसका नुकसान उठाना पड़ता हैं. अब प्रियंका गांधी की रैली को लेकर छोटे-बड़े सभी कांग्रेसी नेता पोस्टर-बैनर के माध्यम से खुद की उपस्थिति जताने में लगे हुए हैं लेकिन जमीन पर उनका काम बेहद फिसड्डी है. बीजेपी सरकार की नीति और मुद्दों को लेकर कांग्रेस की जिला अध्यक्ष ही संघर्ष में नजर आती हैं बाकी नेताओं की हालत बहुत खराब है.