गोरखपुर: मुहर्रम इस्लामी वर्ष यानी हिजरी सन् का पहला महीना है. हिजरी सन् का आगाज इसी महीने से होता है. इस माह को इस्लाम के चार पवित्र महीनों में शुमार किया जाता है. मुहर्रम का पर्व अल्पसंख्यकों के शिया समुदाय के लिए बड़ा ही महत्व रखता है. इस पर्व को पूरे 10 दिनों तक मनाया जाता है. इस्लाम के अन्य पर्वों की तरह यह पर्व भी चांद के ऊपर निर्भर करता है और इसमें शहर के विभिन्न इमाम चौकों पर ताजिये बैठाए जाते हैं.
गोरखपुर में मुहर्रम की होने लगी तैयारियां, ताजिये को अंतिम रूप देने में लगे कारीगर
यूपी के गोरखपुर में मुहर्रम की तैयारी खूब जोरों पर है. इन दिनों जिले में ताजिये बनाने का काम तेजी पर है. ताजियों को बनाने वाले कारीगर आसिफ ने ईटीवी से बातचीत में बताया कि ताजिया कैसी बनाई जाती है.
गोरखपुर के बेनीगंज स्थित ईदगाह में दर्जनों ताजिये बनाए जा रहे हैं. बेनीगंज के रहने वाले मुन्नू पेंटर का परिवार इस पर्व पर बड़ी संख्या में ताजियों का निर्माण करता है. कारीगर आसिफ बतातें हैं कि लगभग 3 महीने की कठिन मेहनत के बाद ताजियों को अंतिम रूप मिल पाता है. इन कारीगरों के पास शहर के कई बड़े ईमाम चौक पर बैठने वाले ताजियों के निर्माण की जिम्मेदारी होती है. जिसे पूरा परिवार मिलकर बनाता है.
आसिफ बताते हैं कि फिलहाल ताजियों के निर्माण का काम लगभग 75% पूरा कर लिया गया है. अब इन्हें रंग-बिरंगे पेपरों, रंगो और लाइटों से सजाया जा रहा है. 10 से 12 फीट ऊंचे ताजिये की कीमत 5 से 8 हजार के बीच में होती है और एक ताजिये को बनाने में कई-कई घंटे की मेहनत लगती है.