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गोरखपुर: श्रावण मास में नहीं बिक रही पूजा सामग्री और धार्मिक किताबें - श्रावण मास

कोरोना वायरस के कारण बाजारों में सन्नाटा पसरा हुआ है. जिससे धार्मिक पुस्तकों के साथ पूजा-पाठ की सामग्रियों की बिक्री पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है. दुकानदारों को श्रावण मास में धार्मिक पुस्तकों और पूजन सामग्री की अच्छी बिक्री होने की उम्मीद थी. उन्होंने सामान से दुकानों और गोदामों को भर दिया था, लेकिन बिक्री न होने से उनकी परेशानियां बढ़ गयी हैं.

पूजन सामग्री और धार्मिक पुस्तकों की नहीं हो रही बिक्री
पूजन सामग्री और धार्मिक पुस्तकों की नहीं हो रही बिक्री

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Published : Jul 15, 2020, 3:20 PM IST

गोरखपुर: श्रावण मास में धार्मिक पुस्तकों और पूजन सामग्री की बिक्री पर कोरोना वायरस का ग्रहण साफ दिखाई दे रहा है. कोरोना के कारण बाजारों में पूरी तरह से सन्नाटा पसरा हुआ है. धार्मिक पुस्तकों के साथ पूजा-पाठ की सामग्री की बिक्री पर भी बुरा असर पड़ रहा है. यही वजह है कि दुकानदारों को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है. दुकानदारों को उम्मीद थी कि श्रावण मास धार्मिक पुस्तकों और पूजन सामग्री की अच्छी बिक्री होगी इसीलिए उन्होंने काफी स्टॉक दुकानों और गोदामों स्टोर कर लिया था. बिक्री न होने के कारण इनको नुकसान उठाना पड़ रहा है.

पूजन सामग्री और धार्मिक पुस्तकों की नहीं हो रही बिक्री

पुजारी ही करा रहे मंदिरों में पूजा

श्रावण मास में धार्मिक पुस्तकों और पूजन सामग्री की बिक्री पर बुरा असर पड़ा है. इसकी वजह साफ है, शासन के निर्देश के अनुसार श्रावण मास में श्रद्धालुओं को घरों में रहकर पूजा-पाठ करने के निर्देश दिए गए हैं. यही वजह है कि मंदिरों में न तो श्रद्धालुओं की भीड़ दिख रही है और न ही बाजारों में धार्मिक पुस्तकों और पूजा पाठ के सामानों को खरीदने के लिए लोग आ रहे हैं. शासनादेश के अनुसार श्रावण मास में मंदिरों में श्रद्धालुओं के पूजा-पाठ और धार्मिक यात्राओं पर भी पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है. मंदिर के पुजारी ही पूजा-पाठ करा रहे हैं. ऐसे में विश्व प्रसिद्ध गीता प्रेस रोड पर स्थिति दुकानों में धार्मिक पुस्तकों के साथ पूजा सामग्री की बिक्री भी पूरी तरह से ठप है.

पूजन सामग्रियों की बिक्री ठप

दुकानदार अर्चना गुप्ता बताती हैं कि वैश्विक महामारी में सभी लोग परेशान हैं. उनकी गीता प्रेस रोड पर धार्मिक और पूजा पाठ से संबंधित सामानों की दुकान है. मंदिर बंद होने के कारण बिक्री बुरी तरह से प्रभावित है. कोरोना वायरस के चलते दुकानों पर ग्राहक नहीं आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि पूजन सामग्रियों के दाम में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. वह रोज दुकान पर इस उम्मीद से आती हैं कि ग्राहक आएंगे, लेकिन ग्राहकों के नहीं आने से दुकानों पर सन्नाटा पसरा रहता है.

धार्मिक पुस्तकों का धंधा भी है मंदा

श्रावण मास में धार्मिक पुस्तकों का भी अपना अलग महत्व रहता है. इन पुस्तकों से तमाम तरीके के अनुष्ठान संपन्न कराए जाते हैं. ऐसे में इस रोजगार से जुड़े हुए व्यापारी भी आर्थिक मंदी से गुजर रहे हैं. धार्मिक पुस्तकों के व्यापार से जुड़े आदित्य बताते हैं कि उनका धंधा पूरी तरीके से मंदा है. उन्होंने बताया कि श्रावण मास को देखते हुए उन्होंने बड़ी संख्या में धार्मिक पुस्तकों का ऑर्डर दिया था, लेकिन लॉकडाउन होने की वजह से इन पुस्तकों को दुकानों और गोदामों पर रख पाना अब मुश्किल हो गया है. खरीदारों के न आने से पुस्तकें रखे-रखे खराब हो रही हैं.

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