उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

गोरखपुर में राजनीतिक दलों के घुसपैठ से शिक्षक एमएलसी चुनाव हुआ रोचक - गोरखपुर शिक्षक एमएलसी चुनाव

गोरखपुर में राजनीति दलों ने इस बार गोरखपुर-फैजाबाद क्षेत्र के शिक्षक एमएलसी चुनाव को पूरी तरह रोचक बना दिया है. शिक्षकों के प्रतिनिधि चुनने वाले इस चुनाव में शिक्षक संगठनों का ही वर्चस्व रहा है. हालांकि समाजवादी पार्टी समय-समय पर इस चुनाव में रुचि लिया करती थी, लेकिन पार्टी प्रत्याशी कभी नहीं खड़ा किया. लेकिन इस बार के चुनाव में मुख्य तौर पर सपा और कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी खड़ा कर दिया है.

एमएलसी चुनाव हुआ रोचक.

By

Published : Nov 19, 2020, 8:17 AM IST

Updated : Nov 19, 2020, 9:19 AM IST

गोरखपुर:जिले में राजनीति दलों ने इस बार गोरखपुर-फैजाबाद क्षेत्र के शिक्षक एमएलसी चुनाव को पूरी तरह रोचक बना दिया है. शिक्षकों के प्रतिनिधि चुनने वाले इस चुनाव में शिक्षक संगठनों का ही वर्चस्व रहा है. हालांकि समाजवादी पार्टी समय-समय पर इस चुनाव में रुचि लिया करती थी, लेकिन पार्टी प्रत्याशी कभी नहीं खड़ा किया. लेकिन इस बार के चुनाव में मुख्य तौर पर सपा और कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी खड़ा कर दिया है. भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त विभ्राट चंद कौशिक खुद को भाजपाई घोषित करते हुए मैदान में ताल ठोक चुके हैं. हालांकि भाजपा ने इस चुनाव में प्रत्याशी घोषित नहीं किया है. फिर भी सपा कांग्रेस और भाजपा के बड़े चेहरों से यह चुनाव रोचक हो गया है.

शिक्षक एमएलसी चुनाव हुआ रोचक.

17 जिले और 39977 हैं मतदाता

राजनीतिक पार्टियों के सीधे दखल ने इस चुनाव को गंभीर बना दिया है. करीब 17 प्रत्याशी मैदान में हैं. इस चुनाव में शिक्षक ही मतदाता होता है. जिनकी संख्या 39977 है. यही वजह है कि अब तक 1970 से हुए चुनाव में शिक्षक संगठनों का प्रतिनिधि ही चुनाव जीतने में कामयाब रहा है. लेकिन राजनीतिक दलों के प्रत्याशी इस बार के चुनाव में खुद की जीत को लेकर बेहद आशान्वित हैं. सपा प्रत्याशी जहां मुलायम सिंह यादव और अखिलेश की सरकार में शिक्षक हित में किए गए कार्य को अपनी चुनावी जीत का आधार बता रहे हैं. तो वहीं भाजपा नेता विभ्राट चंद्र कौशिक अपने छात्र राजनीति के साथ बीजेपी की संघर्ष भरी पारी को चुनावी जीत में बड़ी मददगार बता रहे हैं. वह कहते हैं कि इस चुनाव में वहीं भाजपा के चेहरा हैं. जबकि शिक्षक संगठनों के प्रत्याशी कहते हैं कि यह चुनाव शिक्षक संगठनों का है. राजनीतिक दलों के लिए संविधान ने एक अलग से व्यवस्था बना रखी है. इसलिए चुनाव में जीत शिक्षक संगठनों के प्रत्याशी की ही होगी.

एमएलसी चुनाव हुआ रोचक.

अब तक इन्हें मिला एमएलसी होने का अवसर

शिक्षक एमएलसी का चुनाव वर्ष 1970 में प्रारंभ होता है. पहले ही चुनाव में शिक्षक संगठन के शर्मा गुट के आरएन ठकुराई ने जीत हासिल किया. इस चुनाव का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है. फिर 1976 के चुनाव में शिक्षक संगठन पांडेय गुट के रामाज्ञा प्रसाद ओझा विजयी हुए. 1984 के चुनाव में एक बार फिर पांडे गुट के नरसिंह तिवारी एमएलसी चुने गए. इसी प्रकार 1990 के चुनाव में शर्मा गुट के रविंद्र मिश्रा चुनाव जीतने में कामयाब हुए. वर्ष 1996 में शर्मा गुट के पंचानन राय एमएलसी चुने गए तो 2007 के चुनाव में भी पंचानन राय को ही सफलता मिली थी. पंचानन राय का बीच कार्यकाल में ही निधन हो जाने से रिक्त हुई सीट पर साल 2008 में हुए चुनाव में शर्मा गुटके ध्रुव कुमार त्रिपाठी जीतने में कामयाब हुए. ध्रुव कुमार त्रिपाठी एक बार फिर 2014 के एमएलसी चुनाव में शिक्षकों के प्रतिनिधि के रूप में एमएलसी चुने गए. वह एक बार फिर अपना भाग्य आजमा रहे हैं. लेकिन राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों को मैदान में आने से इस बार का चुनाव रोचक हो पड़ा है.

एमएलसी चुनाव हुआ रोचक.
Last Updated : Nov 19, 2020, 9:19 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details