गोरखपुर: जिले में फर्जी तरीके से शस्त्र लाइसेंस बनाने और नकली असलहा बेचने का सनसनीखेज मामला सामने आया है. शिकायत के बाद संदेह के आधार पर दुकानों की स्कैंनिंग और जांच में जब मामला खुला तो अधिकारियों के भी होश उड़ गए. मामले में पुलिस ने एक दुकान को सीज कर दिया है. वहीं उस दुकान पर काम करने वाले मास्टरमाइंड गोपी की तलाश की जा रही है.
पूरा मामला
- एक साथ शहर के पॉश इलाके टाउनहाल और गोलघर में पड़े छापे के बाद शहर में हड़कंप मच गया.
- दुकानदारों के पूरे रिकार्ड पुलिस ने जांच के लिए जब्त कर लिए हैं.
- शासन के भी सारे रिकार्ड मांगे जाने के बाद से ही शस्त्र लाइसेंस बेचने वाले दुकानदार डर के मारे दुकान बंद कर अंडरग्राउंड हो गए हैं.
- पुलिस को फर्जी लाइसेंस पर नकली असलहा रखने वाले राप्तीनगर के विकास तिवारी, शिवम मिश्र, फर्जी लाइसेंस बनाने वाले दलाल गोपी और रवि गन हाउस के प्रोपराइटर की तलाश है.
- गोपी ने अपने घर पर ही फर्जी लाइसेंस बनाने का सारा सामान रखा हुआ था.
- पुलिस ने लाइसेंस की किताब, मजिस्ट्रेट की मुहर, कई रंग के पेन, और खूब सारी फाइलें बरामद की है.
- शातिर अपने इस जालसाजी के खेल में उन लोगों को फांसते थे, जो लोग लाइसेंस के लिए आवेदन कर चुके हैं और उसके लिए काफी परेशान होते थे.
जिलाधिकारी के. विजयेन्द्र पाण्डियन के कार्यकाल के दौरान भी फर्जी लाइसेंस जारी कर अवैध और नकली असलहों की बिक्री की गई, जबकि उनके समय में कोई भी लाइसेंस जारी नहीं किया गया. इसके साथ ही रिन्यूवल कराने आने वाले लोगों को भी फर्जी तरीके से रिन्यूवल कर काली कमाई की गई.
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रवि आर्म्स कारपोरेशन के प्रोपराइटर के गुर्गे कलेक्ट्रेट दफ्तर पर हमेशा निगाह बनाए रखते थे, यहीं से जरूरतमंद को फांसकर डीलिंग करते थे. ये लोग एक लाइसेंस बनाने का डेढ़ लाख रुपये वसूलते थे. फर्जी लाइसेंस के खेल में सबसे पहला नाम तनवीर खान का आया. उसने फर्जी लाइसेंस पर नकली असलहा भी खरीद लिया था. पुलिस ने असलहा बरामद कर लिया है.