गोरखपुर:गीता प्रेस गोरखपुर विश्व स्तर पर धार्मिक पुस्तकों की छपाई के सबसे बड़े केंद्र के रूप में अपनी पहचान रखता है. यहां स्थापित लीला चित्र मंदिर भगवान राम और कृष्ण के जीवन चरित्र और बाल लीलाओं की अद्भुत गैलरी है. जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है. यही वजह है कि रामायण सीरियल बनाने के दौरान निर्माता रामानंद सागर यहां आकर इसका अवलोकन किए. सीरियल में कलाकारों के ड्रेस से लेकर दरबार तक कुछ ऐसा ही बनाने का उन्होंंने प्रयास किया, जैसा लीला चित्र मंदिर में दर्शाया गया है. वहीं, पृथ्वीराज कपूर को भी अपने फिल्मों के लिए सेट बनाने से लेकर कुछ मार्गदर्शन यहां से मिला है.
गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार: गीता प्रेस गोरखपुर की खासियत यह है कि यहां पूर्व राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद और राम नाथ कोविंद भी लीला चित्र मंदिर को देखने में अपना विशेष समय दिए. इन चित्रों को बनाने वाले 3 चित्रकार थे. ये तीनों चित्रकार अपनी सेवा और कहीं नहीं दिए. ये चित्रकार यहीं के होकर रह गए. गीता प्रेस की विभिन्न धार्मिक पुस्तकों में यहीं के चित्र छपते हैं. इसकी ख्याति और सनातन परंपरा को आगे बढ़ाने में इसकी पहल समाजिक स्वीकारोक्ती की ही देन है कि इसे 2021 का गांधी शांति पुरस्कार दिया जाएगा. 'गीता प्रेस ने 100 साल में लोगों के बीच काफी सराहनीय काम किया है.
रामानंद सागर पहुंचे थे गीता प्रेसःगीता प्रेस के ट्रस्टी देवीदयाल अग्रवाल ने कहा कि जब रामानंद सागर 1990 के दशक में रामायण सीरियल बनाने के दौरान यहां आए थे. उस दौरान वह भी उनके साथ ही थे. लीला चित्र मंदिर में भगवान राम का दरबार, मंच की साज सज्जा और दरबार को देखकर उन्होंने कहा कि रामायण सीरियल में वह जो कुछ भी परोस पाये हैं. वह गीता प्रेस का जूठन भी नहीं है. यहां से जाने के बाद उन्होंने अपने तमाम एपिसोड में नए साज सज्जा का स्वरूप प्रदान किया. उन्होंने कहा कि महाभारत सीरियल बनाने वाले लोग भी यहां पर आए थे. कृष्ण लीला से संबंधित चीजों का अवलोकन कर सीरियल में उसे जोड़ने का भी उन्होंने प्रयास किया था. ट्रस्टी देवीदयाल अग्रवाल ने कहा कि 100 वर्ष के अपने कार्यकाल में तमाम तकनीकी पहलुओं से खुद को जोड़ते हुए गीता प्रेस ने आज जिस मुकाम पर लोगों के भरोसे के साथ खड़ा है. उसका ही परिणाम है कि उसे लोगों का स्नेह मिल रहा है.