गोरखपुरः पूर्वांचल के मशहूर उद्योगपति और स्टील कारोबारी चंद्र प्रकाश अग्रवाल पर 26 अप्रैल को इनकम टैक्स की छापेमारी में हुई थी. छापेमारी से नाराज चंद्र प्रकाश अग्रवाल इस कार्रवाई के बाद सोमवार को प्रेस वार्ता की. इस दौरान उन्होंने कहा कि गोरखपुर में उन्होंने जिस दौर में उद्योग की स्थापना की थी, वह 80 का दशक था. उस समय यहां गन पॉइंट पर कारोबार होता था. अवैध तमंचे (कट्टे) बनाए जाते थे. अगर उद्योग नहीं लगते, तो यहां तमंचे ही बनते. इनकम टैक्स की छापेमारी में 6 दिनों तक उन्हें घर में बंद रखना कहीं से उचित नहीं था. यह उन्हें हतोत्साहित करता है. ऐसी कार्रवाई गोरखपुर में भविष्य में किए जाने वाले उद्योगों की स्थापना को प्रभावित करेगा.
गौरतलब है कि चंद्र प्रकाश अग्रवाल की कंपनी गैलेंट इस्पात के नाम से जानी जाती है, जिसका कारोबार गोरखपुर और गुजरात के भुज में होता है. यह पूर्वांचल की पहली ऐसी फर्म है, जो सेबी में रजिस्टर्ड है और प्रतिवर्ष कई सौ करोड़ का टैक्स देती है. सोमवार को प्रेस वार्ता में गैलेंट इस्पात उद्योग के सीएमडी चंद्र प्रकाश अग्रवाल ने कहा कि मीडिया में छापेमारी के दौरान विभिन्न तरह की बरामदगी और टैक्स चोरी की खबरें आई जो निराधार हैं. इनकम टैक्स ने उन्हें अभी तक इस तरह की किसी भी चोरी की नोटिस नहीं दी है. उन्होंने इस छापेमारी में पूरा सहयोग किया है. 26 लाख रुपए और करोड़ों के जेवरात जो मिले हैं. उसके कागजात उन्होंने आईटी टीम को उपलब्ध कराया है.
उन्होंने कहा, 'छापेमारी के दौरान यह खबरें भी आती रहीं कि गैलेंट समूह में राजनेताओं और ब्यूरोक्रेट्स के पैसे लगे हैं, तो मैं साफ कर देना चाहता हूं कि, उनके द्वारा खड़ी की गई इस संस्था में न तो पहले किसी राजनेता और अधिकारी का पैसा लगा था और न ही आज की तारीख में. 1984 से उद्योग की स्थापना करने के बाद संघर्षों के बल पर होने वाली कमाई से मौजूदा दौर में गुणवत्ता और विशिष्ट पहचान का उनका उद्योग खड़ा है, जो हजारों परिवारों को रोजगार देता है. लेकिन, जिस तरह से बड़े स्तर की छापेमारी उनके संस्थानों पर हुई है वह ठीक नहीं.'