गोरखपुर:युवाओं को ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना जिले में दम तोड़ती नजर आ रही है. प्रधानमंत्री की इस अति महत्वाकांक्षी योजना के पिछले 5 सालों के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो प्रशिक्षण हासिल करने वाले 80 फीसदी युवाओं को नौकरी नहीं मिल सकी है.
वहीं स्वरोजगार के लिए जाने वाले युवाओं की संख्या 18 फीसदी पर ही सिमट कर रह गई है. यह स्थिति तब है जब कौशल विकास को बढ़ावा देने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री तक जोर-शोर से जुटे हैं.
रोजगार और स्वरोजगार से नहीं जुड़ेप्रशिक्षणार्थी
वर्ष 2019-20 का प्रशिक्षण अभी एक-दो सेंटर पर ही शुरू हो सका है, जबकि मार्च में शैक्षिक सत्र भी खत्म हो जाएगा. जो पुराने प्रशिक्षणार्थी हैं वह विभिन्न सेंटरों में प्रशिक्षण लेते देखे जा सकते हैं, लेकिन रोजगार और स्वरोजगार से इन्हें अभी नहीं जोड़ा जा सका है. शासन की ओर से कौशल विकास के लिए एक वर्ष का जो भौतिक लक्ष्य निर्धारित किया गया है, उसमें बमुश्किल ही आधी सीटें भर रही हैं.
प्रशिक्षण लेने वालों में नहीं दिखाई दे रही रुचि
साल दर साल केंद्रों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. मगर यहां प्रशिक्षण लेने वालों में रुचि नहीं दिखाई दे रही है, जिससे सीटें खाली जा रही हैं. इस योजना के तहत मोबाइल रिपेयरिंग, कॉल सेंटर वर्किंग, सिलाई-कढ़ाई, कारपेंटर से लेकर विदेश जाने से पहले की जाने वाली तैयारियों का ज्ञान प्रशिक्षुओं को कराया जाता है, लेकिन जो परिणाम है वह भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं दे रहे.