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प्राथमिक स्कूल के बच्चों की शिक्षा में गुणात्मक माध्यम बना 'निपुण' भारत मिशन - प्रेरणादायी शिक्षकों की कहानियां

गोरखपुर में प्राथमिक स्कूल के बच्चों की शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए "निपुण" प्रोजेक्ट लागू किया गया है. इससे परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे भी अब कॉन्वेंट में पढ़ने वाले बच्चों के बराबर खड़े हों रहे हैं.

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बच्चों की शिक्षा में गुणात्मक माध्यम बना 'निपुण' भारत मिशन

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Published : Jul 20, 2023, 6:33 PM IST

गोरखपुर:बेसिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए गोरखपुर में मॉडल के रूप में 'निपुण' (नेशनल इनिशिएटिव फॉर प्रोफिशिएंसी इन रीडिंग विथ अंडरस्टैंडिंग न्यूमरेसी) प्रोजेक्ट लागू किया गया है. दिसंबर 2021 से शुरू निपुण भारत मिशन से बच्चों की शैक्षिक गुणवत्ता में लगातार सुधार हो रहा है. परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे भी अब कॉन्वेंट में पढ़ने वाले बच्चों के बराबर खड़े हों रहे हैं. ड्राप आउट की समस्या भी स्कूलों की खत्म हो रही है. मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने बेसिक शिक्षा की दशा को सुधारने के लिए सतत प्रयास किया है. उनके प्रयासों के अब सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं.

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी रमेंद्र सिंह बताते हैं कि हर बच्चे को ज्ञान के स्तर पर निपुण बनाने की मंशा वाले प्रोजेक्ट, निपुण भारत मिशन के तहत हर बच्चे के ज्ञान का मूल्यांकन किया जा रहा है. यह पता लगाया जा रहा है कि बच्चे ने स्कूल में क्या जाना, क्या सीखा और उसके किस पक्ष को मजबूत बनाने के लिए अतिरिक्त ध्यान देने की आवश्यकता है. निपुण लक्ष्य प्राप्त करने के लिए पीटीएम (अभिभावक-शिक्षक बैठक) का आयोजन कर अभिभावकों से बच्चों की शैक्षिक प्रगति पर भी संवाद किया जा रहा है.

देश में पहली बार कक्षा 1 से लेकर कक्षा 8 तक के बच्चों का ओएमआर शीट के जरिए टेस्ट हुआ. इससे उनकी बुद्धिमत्ता का आंकलन किया गया. गोरखपुर के शत प्रतिशत विद्यालयों में 2 लाख 86 हजार के सापेक्ष 2 लाख 28800 बच्चे इसमें शामिल हुए. दिव्यांग बच्चे भी उत्साह के साथ प्रतिभागी बन रहे हैं. अभिभावक भी इस तरह की परीक्षा को लेकर उत्साहित रहे. उनके लिए यह आश्चर्य का विषय रहा कि, उनके बच्चों की क्षमता का आंकलन मोबाइल से किया गया. इसके बाद उन बच्चों को चिन्हित किया गया जिन पर विषय विशेषज्ञों द्वारा अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है. कक्षाओ में बच्चों के सीखने-समझने के स्तर में वृद्धि हो सके इसके लिए असेसमेंट के जरिये लर्निंग गैप की पहचान की गई. बच्चों को विज्ञान और गणित में और दक्ष बनाने के लिए अध्यापन की नई तकनीकियों से रूबरू कराने के लिए चुनिंदा शिक्षकों की कार्यशाला आईआईटी गांधीनगर (गुजरात) में कराई जा चुकी है.

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जनवरी से मार्च 2023 तक डीएलएड प्रशिक्षुओं द्वारा किए गए आकलन के अनुसार कक्षा 3 तक के 27 प्रतिशत विद्यार्थी निपुण लक्ष्य हासिल कर चुके थे. इसके अलावा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रावधान के मुताबिक, शिक्षकों के पढ़ाने के तरीके में व्यावहारिक बदलाव के लिए प्रशिक्षण प्राप्त 105 मेंटर्स, विद्यालयों का भ्रमण कर शैक्षिक सहयोग दे रहे हैं. ये मेंटर्स ऑन द स्पॉट निपुण लक्ष्य एप से पांच विद्यार्थियों का असेसमेंट भी करते हैं. इससे अभिभवकों को आमजन को जोड़ने के लिए आशा, आंगनबाड़ी वर्कर, ग्राम प्रधान आदि का भी सहयोग लिया जा रहा है. शिक्षकों के उत्कृष्ट प्रयासों को प्रचार प्रसार के लिए 'प्रेरणादायी शिक्षकों की कहानियां' नाम से एक सीरीज भी शुरू की गई है. इसे डिजिटल प्लेटफार्म के जरिये जन जन तक पहुंचाया जा रहा है.

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