गोरखपुर: स्वतंत्रता संग्राम के अभियान में देश में क्रांतिकारियों, संघर्षशील नेताओं के साथ स्थानों का भी बड़ा महत्व रहा है. ऐसे ही स्थानों में एक है गोरखपुर का 'लाल डिग्गी पार्क' जो मौजूदा समय में 'नेहरू पार्क' के नाम से जाना जाता है. यहां से भी आजादी को लेकर कई तरह की गतिविधियां चलाई जाती थीं. उस दौर में यह हुंकार भरने के लिए नेताओं का प्रमुख स्थल हुआ करता था.
यही वजह है कि 3 जून 1940 का दिन इस पार्क के नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज है, जब स्वतंत्रता आंदोलन के अभियान को आगे बढ़ाने के लिए लोगों को संबोधित करने पंडित जवाहरलाल नेहरु यहां सभा करने आए और ब्रिटिश हुकूमत के आदेश पर उन्हें यहां से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.
लाल डिग्गी से नेहरू पार्क बनने तक का सफर
तीन-तीन नाम की पहचान रखने वाला यह पार्क ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़ने की वजह से अब विरासत की कड़ी बन चुका है. घटनाक्रम के अनुसार, पार्क के नाम को क्रम में रखा जाए तो सबसे पहले इसका नाम लाल डिग्गी ही था. उसके बाद इसे इस्माइल नाम मिला और अंत में यह नेहरू पार्क के नाम से स्थापित होकर मौजूदा समय में अपनी उपयोगिता शहरवासियों के बीच स्थापित कर चुका है. लाल डिग्गी नाम का इतिहास सतासी स्टेट के राजाओं से जुड़ा है, जहां के लाल बाबू इस स्थान पर रहते हुए एक पोखरे का निर्माण करवाया था, जिसको उस काल में डिग्गी कहा जाता था.