गोरखपुर: सावन के महीने में देश भर से कांवड़िए जल चढ़ाने शिव मंदिर जाते हैं. इस दौरान कांवड़िए एक विशेष पोशाक में दिखते हैं. खास बात यह है कि इन पोशाकों का निर्माण गोरखपुर में मुस्लिम समाज के लोग करते हैं. इससे यहां धर्म का संगम और सामाजिक सद्भाव दिखता है. गोरखपुर में भारी तादात में मुस्लिम समाज के लोग कांवड़ियों के पोशाक सिलते हैं. यह करीब 20 वर्षों से चला आ रहा है.
गोरखपुर में मुस्लिम समाज के लोग सावन में कांवड़ियों के लिए कपड़े और झोला तैयार करते हैं. यहां शहर के पिपरापुर, रसूलपुर, जफर कालोनी और इलाहीबाग के कई परिवार सालों से इस काम को करते चले आ रहे हैं. उनकी रोजी-रोटी का जरिया भी यही है. इससे उन्हें तीन से चार लाख की इनकम होती है. जो सावन के पवित्र माह के शुरू होने के तीन से चार महीने पहले से ही कांवड़ियों के कपड़े और झोला सिलना शुरू कर देते हैं.
सावन के महीने में बाबाधाम के लिए गेरुआ रंग में रंगे कांवड़िए जब एक साथ निकलते हैं तो हर जगह माहौल शिवमय हो जाता है. जिसमें इन मुस्लिम परिवारों की मेहनत और लगन भी शामिल होती है. कांवड़ियों के पोशाक तैयार करने में कोई भेदभाव नहीं होता है और यह सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करता है. यह लोग खुद कहते हैं कि समाज का काम एक-दूसरे से मिलकर ही होता है. फिर उसमें कैसा भेद और कैसा जातिवाद.