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राम कथावाचक मोरारी बापू ने कहा, 'मुझे राजनीति में ऑफर मिले, मगर राजपीठ भ्रष्ट होता है'

गोरखपुर में विश्व प्रसिद्ध कथा वाचक मोरारी बापू 5 से 13 अक्टूबर तक राम कथा करने आये हैं. इस दौरान उन्होंने कहा कि, उनकी व्यासपीठ से बढ़कर उनके लिये कुछ भी नहीं है. व्यासपीठ की सत्ता से बड़ी उनके लिए कोई दूसरी सत्ता नहीं है. राजपीठ के बारे में उन्होंने कहा राजपीठ हमेशा करप्ट (भ्रष्ट) होती है.

राम कथावाचक मोरारी बापू ने कहा, राजपीठ सदैव करप्ट होती है

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Published : Oct 12, 2019, 10:47 PM IST

गोरखपुर: विश्व प्रसिद्ध रामकथा वाचक मोरारी बापू ने कहा, कि राजपीठ सदैव करप्ट होती है. उन्होंने कहा, कि उनकी व्यासपीठ से बढ़कर उनके लिये कुछ भी नहीं है. व्यासपीठ की सत्ता से बड़ी उनके लिए कोई दूसरी सत्ता नहीं है. वहीं मीडियाकर्मियों से बात करने के दौरान उन्होंने कहा, कि उन्हें राजनीति से जोड़ने या उन्हें राजनीति में लाने के लिए कोई हिम्मत भी नहीं जुटा सकता. मोरारी बापू 5 अक्टूबर से गोरखपुर में रामकथा कह रहे हैं. 13 अक्टूबर को कथा का आखिरी दिन होगा.

राम कथावाचक मोरारी बापू ने कहा, राजपीठ सदैव भ्रष्ट होती है.
मोरारी बापू ने कहा सनातन धर्म को मानने वाला हर व्यक्ति भारतीयइस दौरान उन्होंने भगवान राम को लेकर अपने विचार स्पष्ट करते हुए कहा कि राम व्यक्ति तो है ही वह निराकार से साकार भी हैं. राम एक विचार हैं. राम एक वैरागी का नाम है. राम एक विवेक का नाम है, राम एक आदर्श का नाम है, जिसे एक फ्रेम में नहीं गढ़ा जा सकता.

उन्होंने कहा, कि भारत में रहने वाला चाहे वह किसी भी धर्म का हो सबसे पहले वह भारतीय है और सभी को मिलकर देश हित के लिये धार्मिक मुद्दों में फैसला करना चाहिए. उन्होंने बातचीत के दैरान कहा, कि राम सनातन धर्म को मानने वाले हर भारतीय के हैं. इस दौरान उन्होंने ये भी कहा कि मुझे ऑफर मिले हैं, लेकिन मुझे राजनीति में नहीं जाना. इस सवाल कि क्या मोदीजी ने ऑफर दिया राजनीति में आने का, को टाल गए. उन्होंने कहा कि राजपीठ भ्रष्ट होता है.

मोरारी ने कहा चुनाव के समय मंदिर मंदिर चक्कर काटने वाले अब कहां हैं
मोरारी बापू ने इस दौरान राजनीतिज्ञों पर बड़ी टिप्पणी की. उन्होंने कहा, कि जब लोकसभा चुनाव था तो तमाम दल के नेता मंदिर-मंदिर घूम रहे थे. आज कोई ऐसा आंकड़ा मौजूद नहीं है, जो यह बताये कि चुनाव के बाद भी ऐसे नेता मंदिरों के चक्कर काट रहे हों.

एक खास समय पर लाभ हानि के उद्देश्यों से मंदिरों का चक्कर लगाना और फिर कौन राम, कौन कृष्ण, भूल जाना ठीक बात नहीं. उन्होंने आगे कहा, कि वह किसी भी मंच से गलत को गलत और सही को सही कहने की हिम्मत रखते हैं, वह चेहरा नहीं देखते, व्यासपीठ का उद्देश समाज को सच्चाई का मार्ग दिखाना है.

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