वारीश प्रताप चतुर्वेदी ने ईटीवी भारत से साझा की जानकारी
गोरखपुर: पूरी दुनिया में भारतीय मेधा शक्ति, ज्ञान- विज्ञान और कौशल का डंका हमेशा बजता रहा है. मौजूदा समय में भी विश्व के जाने-माने कैंब्रिज विश्वविद्यालय में छात्र संघ अध्यक्ष और ग्रीन एनर्जी पर एमफिल कर रहे मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र, वारीश प्रताप चतुर्वेदी का डंका बज रहा है. वर्ष 2016 का बीटेक मैकेनिकल इंजीनियरिंग पास आउट यह छात्र पिछले दो दिनों से गोरखपुर में है. विश्वविद्यालय के एलुमनी मीट में यह बतौर आमंत्रित सदस्य है. ईटीवी भारत ने वारीश प्रताप चतुर्वेदी से खास बातचीत की.
कैंब्रिज में पढ़ने का था सपना: वारीश प्रताप चतुर्वेदी ने ईटीवी भारत को बताया कि पूर्वांचल में मेधा शक्ति जबरदस्त है. यहां के युवा जिस क्षेत्र में जुट जाएंगे, वहां अपना झंडा बुलंद करेंगे. वारीश ने कहा कि कैंब्रिज विश्वविद्यालय में पढ़ने की उनकी ललक थी. वह दुनिया के टॉप विश्वविद्यालय में पढ़ना चाहते थे और कैंब्रिज पांचवें नंबर का विश्वविद्यालय है. यहां से भारत की कई हस्तियां पढ़कर निकली हैं. जिसमें से देश को तीन प्रधानमंत्री, दो नोबेल पुरस्कार विजेता समेत कई उद्योगपति भी शामिल हैं. उन्होंने इशारों में कहा कि उसके छात्र संघ अध्यक्ष कार्यकाल में कैंब्रिज विश्वविद्यालय में भारत को एक बड़ी पहचान दिलाने का प्रयास चल रहा है, जो बहुत जल्द सबके सामने आएगा.
वारीश कैंब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष:मौजूदा समय के शैक्षिक सत्र में वारीश कैंब्रिज विश्वविद्यालय में अध्यक्ष पद हैं. मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के बेस्ट बीटेक प्रोजेक्ट अवार्ड के लिए भी इनका चयन हुआ था. वह गेट जैसी कठिन परीक्षा में भी सफल रहे तो एसएई बाहा में यूनिवर्सिटी टीम के कप्तान भी रहे हैं. उन्हें नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज द्वारा फैलोशिप और विश्वविद्यालय द्वारा बेस्ट बीटेक प्रोजेक्ट अवार्ड के लिए भी चुना जा चुका है.
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कैंब्रिज विश्वविद्यालय में भारतीयों का जलवा: ईटीवी भारत से बातचीत में वारीश ने कहा कि उनकी इच्छा है कि विश्वविद्यालय और उनसे जुड़े हुए किसी भी व्यक्ति का कोई छात्र, उनका भरपूर लाभ ले. जहां कोई मार्गदर्शन की आवश्यकता हो तो, उन्हें संपर्क करें. वह यहां के युवाओं के कौशल विकास और लक्ष्य को हासिल होता देखना चाहते हैं. वह कहते हैं कि कैंब्रिज विश्वविद्यालय में भारतीयों का जलवा है. दुनिया के तमाम देशों के छात्र वहां पढ़ते हैं. वह ग्लोबल यूनिवर्सिटीज के रूप में है. वारीश प्रताप एनसीसी और एनएनएस के भी वॉलिंटियर रहे है. भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन में वर्ष 2016 से 21 के बीच में उन्हें बतौर इन्जीनियर सेवा देने का भी अवसर मिला. लेकिन, जब एमफिल के लिए कैंब्रिज विश्वविद्यालय का अवसर मिला तो वह इसे छोड़कर कैंब्रिज चले गये.
कैंब्रिज विश्वविद्यालय में सामाजिक माहौलःवारीश प्रताप ने कहा कि बीटेक के दौरान ही उन्हें ऑटोमोटिव और दूसरे एनर्जी सिस्टम में बहुत रुचि थी. थर्मल और क्लीन एनर्जी सिस्टम में कैसे काम कर सकते हैं, इसके लिए हायर स्टडी के लिए बेहतर विश्वविद्यालय की तलाश थी. जो कैंब्रिज के रूप में प्रयासों के बल पर पूरी भी हो गई. वारीश ने कहा कि कैंब्रिज विश्वविद्यालय में पढ़ाई के साथ बहुत ही बेहतर सामाजिक माहौल भी देखने को मिलता है. पढ़ाई के पहले साल में ही कोषाध्यक्ष और प्रतिनिधि निर्वाचित हुए, जिससे उन्हें बड़ा बल मिला और अध्यक्ष के रूप में भी उन्हें बड़ा समर्थन मिला.
वारीश प्रताप चतुर्वेदी ने कहा कि कैंब्रिज विश्वविद्यालय ने उन्हें काफी प्रेरित किया है. MMMUT के एक एलुमनी आशीष पान्डेय ने उन्हें खासा प्रभावित किया है. इसके अलावा यहां से पंडित जवाहरलाल नेहरू, राजीव गांधी, डॉक्टर मनमोहन सिंह, अमर्त्य सेन, सीवी रमन जैसी हस्तियों के अलावा श्रीनिवास रामनुजन, सर दोराबजी टाटा और न जाने कितनी हस्तियां भारत की बड़ी पहचान हैं. वारीश मूलतः फर्रुखाबाद के रहने वाले है. उनकी प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर और नवोदय विद्यालय से हुई है.
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