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मेडिकल कॉलेज से लापता नवजात बरामद - राघव दास मेडिकल कॉलेज

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज से लापता नवजात बच्ची को पुलिस ने सात दिन बाद कुसमी बाजार से बरामद कर लिया. इसके बाद उसे उसके माता-पिता को सौंप दिया. पुलिस ने बच्ची के साथ एक खत भी बरामद किया है.

मेडिकल कालेज से 5 दिन चोरी की गई बच्ची

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Published : Aug 8, 2019, 8:13 AM IST

गोरखपुरः जनपद के गुलरिहा थाना क्षेत्र में विगत 30 जुलाई को बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज से राजघाट क्षेत्र के पुरानी चुंगी चौराहा निवासी राकेश वर्मा की पत्नी रूबी की 5 दिन की बच्ची आधी रात में चोरी हो गई थी. गुलरिहा पुलिस 31 जुलाई को मुकदमा दर्ज कर बच्ची की खोजबीन में जुटी थी.

जनपद के खोराबार इलाके के कुसमी बाजार स्थित दुर्गा मंदिर के चबूतरे से मेडिकल कॉलेज से सात दिन पूर्व लापता बच्ची को पुलिस ने बरामद कर लिया. रोने की आवाज सुनकर बगल में रहने वाले स्थानीय लोग बच्ची के पास गए. तो वहां से एक खत मिला. लोगों ने चाइल्ड हेल्प लाइन सहित पुलिस को सूचना दी.

मेडिकल कॉलेज से लापता नवजात बरामद.

मौके पर पहुंची पुलिस

  • बच्ची के मिलने की सूचना पर एसपी सिटी टीम के साथ कुसमी बाजार दुर्गा मंदिर पहुंचे.
  • एसपी सिटी ने गायब नवजात के फोटो से बरामद बच्ची के फोटो का मिलान किया.
  • एसपी सिटी अधिकारियों को सूचना देने के साथ ही बच्ची को लेकर सीधे मेडिकल कॉलेज पहुंच गए.
  • बच्ची को उसके माता-पिता को सौंप दिया गया.

बच्ची पाते ही फफक कर रो पड़ीमां

एसपी सिटी डॉक्टर कौश्तुभ बच्ची कोगोद में लेकर बीआरडी मेडिकल कॉलेज उसकी मां के पास पहुंचे. यहां मौजूद लोगों ने तालियां बजा कर मां-बेटी के मिलन का स्वागत किया. बच्ची को देखते ही रूबी वर्मा की ममता फफक पड़ी और फूट-फूट कर रोने लगी. रूबी ने बच्ची को गले से लगा लिया.


ये लिखा था खत में

नवजात के पास मिला खत पेंसिल से हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में कुछ इस अंदाज में लिखा है. ये बच्ची 30 जुलाई को बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर से उठाई गई थी. कृपया इस बच्ची को उसके माता-पिता तक पहुंचाने की कृपा करें. मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई. शादी के दस साल बाद भी बच्चा नहीं हुआ. बहुत परेशान करते थे ससुरालवाले, पर मुझसे इसकी मां का दुख नहीं देखा गया. हमको मॉफ कर दीजिएगा.

बच्ची को किसने रखा कोई देख नहीं पाया

एसपी सिटी ने बच्ची को उसकी मां को भले ही सौंप दिया, लेकिन अभी भी बच्ची चुराने वाले का सुराग नहीं लगा है. बच्ची को मंदिर के चबूतरे पर किसने रखा, किसी ने नहीं देखा. रोने की आवाज सुनकर अंकित जायसवाल ने सबसे पहले देखा. पड़ोसी दुकानदार अंकित का परिवार ही मंदिर की देख-रेख करता है. सुबह उनकी मां पूजा करने गईं थी, तब कोई बच्ची वहां नहीं थी. फिलहाल इस राज से पर्दा उठना अभी भी बाकी है.

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