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नगर पंचायत मुंडेरा का नाम हुआ 'चौरी चौरा', पूर्वांचल में सियासत तेज

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Published : Dec 28, 2022, 8:08 PM IST

गोरखपुर के मुंडेरा बाजार नगर पंचायत का नाम बदलकर चौरी-चौरा करने से पूर्वांचल की राजनीति में सियासत तेज हो गई है. सपा नेताओं ने बीजेपी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि इस सरकार में सिर्फ नाम बदलने का ही काम हुआ है.

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मुंडेरा बाजार नगर पंचायत का नाम बदलकर हुआ चौरी-चौरा

नगर आयुक्त अविनाश सिंह ने गृह मंत्रालय के फैसले की दी जानकारी

गोरखपुरः जिले की मुंडेरा बाजार नगर पंचायत अब चौरी चौरा के नाम से जानी जाएगी. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नाम बदलने की स्वीकृति दे दी है. आजादी के अमृत वर्ष में प्रदेश की योगी सरकर ने नाम परिवर्तन का प्रस्ताव मंत्रालय को भेजा था. जिसे मंगलवार को गृह मंत्रालय ने स्वीकृति दे दी है. इसके बाद से ही इसको लेकर राजनीतिक गलियारों में सियासत तेज हो गई है. एक तरफ चौरी-चौरा नाम होने के बाद से इस क्षेत्र के लोगो मे खुशी की है. तो वहीं, दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के नेताओं ने इसे निकाय चुनाव में भुनाने की तरकीब बताई.

मुंडेरा बाजार नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष डॉ. जेपी जयसवाल ने कहा है कि यह नाम बहुत पहले बदल जाना चाहिए था. मगर पूर्ववर्ती सरकारें चौरी चौरा क्षेत्र की जनता के साथ न्याय नहीं कर पाई. मौजूदा सरकार यहां के नागरिकों में चौरी-चौरा का सम्मान बढ़ाने का प्रयास करती दिख रही है. बिजली आज चौबीस घंटे मिल रही है. जबकि पिछली सरकारों में 4 घंटे देकर केवल कोरम पूरा किया जाता था. गृह मंत्रालय ने नाम बदलने की जो संस्तुति दी है उससे इसका सम्मान लौटा है.

वहीं मुडेंरा बाजार का नाम बदलने से समाजवादी पार्टी के नेताओं ने बीजेपी पर निशाना साधा है. सपा नेता कीर्ति निधि पांडेय ने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इस सरकार में नाम बदलने का कार्य बहुत हुआ है. हाल फिलहाल में नगर निकाय चुनाव को लेकर हाईकोर्ट से ओबीसी आरक्षण को लेकर जो फैसला आया है, उससे बीजेपी सरकार घिर गई है. चुनाव अब आगे खींचेगा. ऐसे में वह अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए कई तरह के उपायों पर काम करेगी. जिसमें नाम बदले जाने की प्रक्रिया एक उदाहरण है.

उन्होंने बीजेपी पर सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि नाम बदलने से नहीं काम करने से पहचान मिलती है. जो बीजेपी करना नहीं चाहती. वहीं, गोरखपुर महानगर के नगर आयुक्त अविनाश सिंह ने भी सरकार की सरहना की है. आजादी के अमृत महोत्सव और चौरी-चौरा प्रतिकार के शताब्दी वर्ष में यह परिवर्तन शहीद और उनके परिजनों के साथ पूरे क्षेत्र के लिए सम्मान का विषय है.

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