गोरखपुरः माह-ए रमजान का एक-एक पल, हर लम्हा बरकतों से भरा होता है. अल्लाह ताला इस पवित्र महीने रमजान के सदके में जहन्नुम का दरवाजा बन्द और रहमतों का खजाना खोल देता है. पवित्र रमजान का आखिरी 'अशरा' अकीदतमंदों को नर्क से आजादी दिलाने वाला है. फिलहाल ईद करीब है, लेकिन लॉकडाउन के कारण तैयारियां फीकी पड़ी हैं.
पवित्र रमजान का 21वां रोजा रखने के साथ बन्दों ने तीसरे जुमे की नमाज को घरों में पढ़ी और परवरदिगार को राजी करने में जुटे रहे. अरबी पंचांग के मुताबिक माह-ए रमजान साल का नौवां महीना सबसे अफजल (पवित्र) माना जाता है. रमजान के महीने को तीन हिस्सों में बांटा गया है. हर हिस्से में दस- दस दिन आते हैं. हर दस दिन के हिस्से को 'अशरा' कहते हैं. अल्लाह ताला ने हर अशरे में अलग-अलग नेमतें बख्शी हैं.