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गोरखपुर में 'मैं भी चौकीदार' कार्यक्रम में खाली पड़ी रहीं कुर्सियां

पीएम मोदी देश के सभी लोकसभा क्षेत्रों में 500 से भी अधिक स्थानों पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आम जन से सीधा संवाद स्थापित किया. इस दौरान सीएम योगी के शहर गोरखपुर में उम्मीद के मुताबिक खासा असर देखने को नहीं मिला और कार्यक्रम के दौरान कुर्सियां खाली पड़ी रहीं.

सीएम सिटी में 'मैं भी चौकीदार' कार्यक्रम में खाली पड़ी कुर्सियां

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Published : Apr 1, 2019, 9:30 AM IST

गोरखपुर: पीएम मोदी के कार्यक्रम 'मैं भी चौकीदार' का देश में 500 स्थानों पर आयोजन किया गया था. इसी क्रम में मुख्यमंत्री के शहर गोरखपुर में भी इस कार्यक्रम में समाज में सभी क्षेत्रों के प्रतिष्ठित नागरिकों की सहभागिता समस्त जनप्रतिनिधि की उपस्थिति होनी थी, लेकिन घोषित कार्यक्रम के बाद भी 'मैं भी चौकीदार' कार्यक्रम में खाली पड़ी कुर्सियां भारतीय जनता पार्टी की लोकप्रियता पर बड़ा सवालिया निशान खड़ा करती दिखाई पड़ीं.

गोरखपुर में 'मैं भी चौकीदार' कार्यक्रम में खाली पड़ीं कुर्सियां

प्रदेश नेतृत्व के आवाहन पर रविवार शाम 5:00 बजे गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र में आयोजित होने वाले अभियान 'मैं भी चौकीदार' कार्यक्रम का आयोजन सरस्वती विद्या मंदिर आर्य नगर सभागार में किया गया. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने सिर पर केसरिया रंग की टोपी और सीने पर 'मैं भी चौकीदार' का बिल्ला लगाया और कार्यक्रम में लगी कुर्सियों पर बैठ गए. इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि भारतीय जनता पार्टी के क्षेत्रीय अध्यक्ष डॉ. धर्मेंद्र सिंह एवं महानगर प्रभारी सुनील गुप्ता सहित अन्य कार्यकर्ता भी मौजूद थे. वहीं कार्यक्रम में ज्यादातर महिला कार्यकर्ता उपस्थित रहीं.

शाम 5:00 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के विभिन्न क्षेत्रों में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए आम जन से सीधा संवाद स्थापित कर रहे थे. इस दौरान मुख्यमंत्री के शहर गोरखपुर में भी इस कार्यक्रम को सुचारू रूप से चलाया जा रहा था. लेकिन कार्यक्रम में भीड़ नहीं जुटने से पदाधिकारियों के माथे पर पसीना देखने को मिला. वहीं खाली पड़ी कुर्सियां इस बात को प्रमाणित कर रही थी कि मुख्यमंत्री के शहर गोरखपुर में भाजपा की लोकप्रियता और प्रत्याशी घोषित न किए जाने से कार्यकर्ताओं में मायूसी है. शायद यही कारण है कि कार्यक्रम में लगी कुर्सियां खाली पड़ी थी.

ऐसी स्थिति बनने के बाद पदाधिकारियों के निर्देश पर कार्यकर्ताओं ने खाली पड़ी कुर्सियों को समेटना शुरू कर दिया. जिससे बैठे हुए लोगों की भीड़ को ही दिखाया जा सके.

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