गोरखपुर :फेफड़े के कैंसर जैसी असाध्य बीमारी के इलाज के लिए गोरखपुर और आसपास के जिलों के लोगों को बड़े शहरों की दौड़ नहीं लगानी होगी. गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज (BRDMC) में फेफड़े के कैंसर (lung cancer) का भी इलाज संभव हो सकेगा. कॉलेज के प्राचार्य डॉ गणेश कुमार ने बताया कि भविष्य की जरूरतों को देखते हुए मेडिकल कॉलेज में सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं. इसी कड़ी में फेफड़े के कैंसर का इलाज भी शुरू हुआ है.
धूम्रपान और गुटखा के कारण पूर्वांचल समेत पूरे देश में गले और मुंह के कैंसर रोगियों की तादाद लगातार बढ़ रही है. गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज (BRDMC) के कैंसर विभाग में भी मरीजों की लाइन लगी रहती है. पूर्वांचल में कैंसर के सबसे ज्यादा मरीज गले और मुंह के ही हैं. कैंसर रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ राकेश कुमार रावत ने बताया कि गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज में पहले से ही कैंसर रोग के विभिन्न श्रेणियों में मरीजों को इलाज मिलता है. अपनी विश्वसनीयता और सस्ते इलाज की वजह से बीआरडी का कैंसर रोग विभाग मरीजों और तीमारदारों का अभी भी भरोसेमंद बना हुआ है. पहले फेफड़े के कैंसर के इलाज के लिए मरीजों को टाटा कैंसर इंस्टीट्यूट मुंबई या वाराणसी जाना पड़ता था, लेकिन अब ऐसे मरीज भी बेहतर इलाज की उम्मीद के साथ गोरखपुर पहुंच रहे हैं.
ईटीवी भारत को रामभरोसे नाम का एक तीमारदार ऐसा मिला, जो अभी तक अपनी पत्नी के फेफड़े के कैंसर के इलाज के लिए मुंबई और वाराणसी पर निर्भर था. गोरखपुर में सुविधा शुरू होते ही वह यहां दिखाने पहुंचा था. राम भरोसे का कहना है कि इस सुविधा से समय के साथ पैसे की भी बचत होगी. कॉलेज के प्राचार्य डॉ गणेश कुमार कहते हैं कि सुविधाओं और सहूलियत के साथ मरीजों को कीमो थेरेपी में भी कई तरह की सुविधा यहां प्रदान की जाती है, जिससे लोगों को लाभ होता है. यही वजह है कि यहां मरीजों की तादाद बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि भविष्य की जरूरतों को देखते हुए मुख्यमंत्री स्तर से जो डिमांड की जाती है, वह धीरे-धीरे पूरी हो रही है. बीआरडी मेडिकल कॉलेज में कैंसर की समस्याओं के इलाज में सफल हो जाएगा. उसी कड़ी में फेफड़े के कैंसर का इलाज यहां शुरू हुआ है.
डॉ गणेश प्रसाद ने मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए आने वाले कैंसर के कैटिगरी को आंकड़े में बताया. उनके सबसे अधिक मरीज 23 फीसदी मुंह और गले के कैंसर के मरीज बीआरडी मेडिकल कॉलेज आते हैं. दूसरे नंबर पर बच्चेदानी के कैंसर के मरीज हैं. इनकी संख्या भी 18 प्रतिशत है. ब्रेस्ट कैंसर के 13 प्रतिशत और गॉल ब्लैडर के कैंसर के लगभग 10 फीसदी मरीज पहुंच रहे हैं. अब कैंसर के कुल मरीजों में 5 फीसदी का आंकड़ा लंग्स कैंसर के हैं. कैंसर के अन्य मामले 4 फीसदी से भी नीचे हैं.