उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

दुर्गा सप्तशती पाठ का नवरात्र में विशेष महत्व, गीता प्रेस इन भाषाओं में करता है प्रकाशन - gorakhpur latest news

नवरात्रि के नौ दिनों विधि विधान से मां दुर्गा की उपासना की जाती है. इसी के साथ दुर्गा सप्तशती के पाठ करने का भी विधान है. दुर्गा सप्तशती में कुल 13 अध्याय हैं, जिसमें मां अम्बे की महिमा बताई गई है. माना जाता है कि इसका विधि विधान से पाठ करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं नवरात्र में दुर्गा सप्तशती के पाठ का विशेष महत्व...

etv bharat
देखिए स्पेशल रिपोर्ट.

By

Published : Oct 15, 2020, 2:27 PM IST

गोरखपुर: पूरे देश में 17 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो रही है. इस नवरात्र में देवी दुर्गा की स्तुति और पाठ का विशेष महत्व माना जाता है. इसके साथ ही पूजा-पाठ में जिस पुस्तक का सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है, उसका नाम है 'दुर्गा सप्तशती'. इस पुस्तक के साथ ही व्रती या पुरोहित नवरात्र के पाठ का आरंभ करते हैं. विद्वानों और ज्योतिषियों का मत है कि दुर्गा सप्तशती के पाठ करने से मां के भक्तों को लौकिक और भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है. इसके पाठ से मोक्ष की प्राप्ति भी होती है. इस पुस्तक की महत्ता इस बात से लगाई जा सकती है कि धार्मिक पुस्तकों की छपाई के सबसे बड़े केंद्र गोरखपुर के गीता प्रेस द्वारा इसे 8 भाषाओं में प्रकाशित किया जाता है, जिसकी बिक्री नवरात्र के सीजन में ही 8 से 10 लाख का आंकड़ा पार कर जाती है.

देखिए स्पेशल रिपोर्ट.
8 भाषाओं में दुर्गा सप्तशती का प्रकाशन
शक्ति स्वरूपा देवी दुर्गा की आराधना हिंदी भाषी राज्यों के साथ-साथ देश के हर हिंदू घरों में होती है. गुजराती, तेलगू और बंग्लाभाषी भी इसे बड़े पैमाने पर अपने उपयोग में लाते हैं. कर्नाटक हो या केरल, उड़ीसा हो या फिर नेपाल, माता शक्ति के उपासकों में यह पुस्तक खासा लोकप्रिय है. यही वजह है कि पूरे देश ही नहीं दुनिया के विभिन्न देशों में धार्मिक पुस्तकों के लिए प्रमाणिक पहचान रखने वाले गोरखपुर के गीता प्रेस संस्थान से इस पुस्तक की 8 भाषाओं में पूरी शुद्धता के साथ प्रकाशन होता है.
अब तक 8 भाषाओं में छप चुकी यह पुस्तक करीब एक करोड़ 40 लाख प्रतियों में बिक चुकी है, जो इस संस्थान की तीसरी सबसे अधिक बिकने वाली पुस्तकों में से शामिल है. गीता प्रेस के उत्पाद प्रबंधक लालमणि तिवारी की माने तो हिंदी भाषी क्षेत्रों में पटना में इसकी सर्वाधिक डिमांड है. उन्होंने कहा कि खुशी इस बात की है कि कोरोना काल में भी हम इसकी डिमांड को पूरी करने में सफल हुए हैं. यह देवी दुर्गा की ही कृपा है.

दुर्गा सप्तशती का पहला प्रकाशन
गीता प्रेस के उत्पाद प्रबंधक लालमणि तिवारी ने बताया कि इसकी सर्वाधिक डिमांड गुजरात, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उड़ीसा, कर्नाटक, केरल और नेपाल में है. उन्होंने बताया कि वर्ष 1947 में दुर्गा सप्तशती का पहली बार प्रकाशन गीता प्रेस द्वारा किया गया था. हिंदी में इस पुस्तक के अब 491 संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं. वहीं अन्य भाषाओं में भी इसके 144 संस्करण प्रकशित हुए हैं.

दुर्गा सप्तशती पुस्तक का महत्व
धर्माचार्य एवं ज्योतिषी डॉ. धनेश मणि त्रिपाठी बताते हैं कि इस पुस्तक के धार्मिक महत्व की व्याख्या ज्योतिषाचार्य भी बहुत ही सटीक तरीके से करते हैं. गोरखपुर के जाने-माने और विश्व प्रसिद्ध ज्योतिषी डॉ. धनेश मणि त्रिपाठी की माने तो मार्कंडेय पुराण के देवी महात्म में दुर्गा सप्तशती का पाठ आता है.

भोग, स्वर्ग और मोक्ष की प्राप्ति
उन्होंने बताया कि दुर्गा सप्तशती में कुल 700 श्लोक मां की स्तुति के हैं. इसलिए इसका नाम दुर्गा सप्तशती है. उन्होंने इस पुस्तक के पाठ का विशेष महत्व रात में किए जाने की बात कही है, क्योंकि इस व्रत को नवरात्र कहा गया है. अर्थात रात्रि की उपासना भक्तों के लिए ज्यादा फलदायी होगी. उन्होंने एक श्लोक से इस पुस्तक की महत्ता को दर्शाते हुए कहा कि मां जगदंबा ने स्वयं कहा है कि जो भी व्रती या भक्त दुर्गा सप्तशती का पाठ करेगा उसे भोग, स्वर्ग और मोक्ष की प्राप्ति हर हाल में होगी.

ABOUT THE AUTHOR

...view details