गोरखपुर: हर धर्म में कोई न कोई एक ऐसा पर्व होता है, जो उसकी महत्ता और भावना को समाज के बीच स्थापित करता है. ऐसे ही पर्वों में से एक है 'पर्यूषण पर्व' (Jainism Paryushan festival) जिसका जैन धर्म में विशेष महत्त्व है. इसे 10 लक्षण पर्व भी कहा जाता है. आमतौर पर यह अगस्त या सितंबर के महीने में ही मनाया जाता है, जिसमें यथाशक्ति जैन धर्म के लोग उपवास, व्रत रखते हैं. इस बार यह पर्व सितंबर माह में शुरू हुआ है, जो 10 दिनों तक चलने के साथ 21 सितंबर को क्षमा याचना के साथ पूर्ण होगा. करीब 400 साल पुराने गोरखपुर के दिगंबर जैन मंदिर में इस पर्व को लेकर पूजा-अर्चना सुबह-शाम होती है, जिसमें महिलाओं की सहभागिता देखने योग्य होती है. पुरुष भी इसमें बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं.
आत्म शुद्धि और जन कल्याण की ओर ले जाता है जैन धर्म का 'पर्यूषण पर्व', जानें इसका महत्व
जैन धर्म में 'पर्यूषण पर्व' (Jainism Paryushan festival) का विशेष महत्त्व है. इस बार यह पर्व सितंबर माह में शुरू हुआ है. शुक्रवार को जैन धर्म के लोगों ने गोरखपुर के दिगंबर जैन मंदिर में पूजा-अर्चना की. सभी ने इसमें बढ़-चढ़कर प्रतिभाग किया.
उन्होंने कहा कि भगवान महावीर ने जियो और जीने दो का जो संदेश दिया है, वह हर मनुष्य के लिए एक आदर्श चीज है. महावीर जी ने सत्य, अहिंसा,अपरिग्रह,चर, ब्रह्मचर्य की बात कहां है. इसमें से जो भी धर्म व्यक्ति अपनाएगा उसके जीवन में सुख और लाभ की प्राप्ति होगी. हर संभव लोगों की मदद करके आगे बढ़ो यह जीवन का लक्ष्य होना चाहिए. जैन समाज इन्हीं आदर्शों के साथ आगे बढ़ता है. उन्होंने कहा कि पूरे वर्ष भर समाज के सभी भाई अपने रोजगार और अन्य कार्यों में व्यस्त होते हुए जो गलतियां करते हैं उन्हें दूर करने, उसके लिए प्रभु से क्षमा मांगने और आपसी भाईचारे को बनाए रखने में यह पर्व बड़ा योगदान देता है. इस दिन सभी एकजुट होकर एक दूसरे से क्षमा याचना करते हैं, तो इस पर्व की महत्ता अपने आप जहां सिद्ध होती है, वहीं बढ़ भी जाती है.
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