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आत्म शुद्धि और जन कल्याण की ओर ले जाता है जैन धर्म का 'पर्यूषण पर्व', जानें इसका महत्व

जैन धर्म में 'पर्यूषण पर्व' (Jainism Paryushan festival) का विशेष महत्त्व है. इस बार यह पर्व सितंबर माह में शुरू हुआ है. शुक्रवार को जैन धर्म के लोगों ने गोरखपुर के दिगंबर जैन मंदिर में पूजा-अर्चना की. सभी ने इसमें बढ़-चढ़कर प्रतिभाग किया.

गोरखपुर के दिगंबर जैन मंदिर में हुई पूजा-अर्चना.
गोरखपुर के दिगंबर जैन मंदिर में हुई पूजा-अर्चना.

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Published : Sep 18, 2021, 12:46 PM IST

Updated : Sep 18, 2021, 8:36 PM IST

गोरखपुर: हर धर्म में कोई न कोई एक ऐसा पर्व होता है, जो उसकी महत्ता और भावना को समाज के बीच स्थापित करता है. ऐसे ही पर्वों में से एक है 'पर्यूषण पर्व' (Jainism Paryushan festival) जिसका जैन धर्म में विशेष महत्त्व है. इसे 10 लक्षण पर्व भी कहा जाता है. आमतौर पर यह अगस्त या सितंबर के महीने में ही मनाया जाता है, जिसमें यथाशक्ति जैन धर्म के लोग उपवास, व्रत रखते हैं. इस बार यह पर्व सितंबर माह में शुरू हुआ है, जो 10 दिनों तक चलने के साथ 21 सितंबर को क्षमा याचना के साथ पूर्ण होगा. करीब 400 साल पुराने गोरखपुर के दिगंबर जैन मंदिर में इस पर्व को लेकर पूजा-अर्चना सुबह-शाम होती है, जिसमें महिलाओं की सहभागिता देखने योग्य होती है. पुरुष भी इसमें बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं.

गोरखपुर के दिगंबर जैन मंदिर में हुई पूजा-अर्चना.
श्री पारसनाथ दिगंबर जैन सोसायटी (Shri Parasnath Digambar Jain Society) के अध्यक्ष पुष्पदंत जैन कहते हैं कि पर्यूषण पर्व (Jainism Paryushan festival) की शुरुआत उत्तम क्षमा धर्म के पूजन के साथ होती है. उन्होंने कहा कि 10 दिन तक चलने वाले इस पर्व में जिस 10 धर्म की बात की जाती है, उसमें उत्तम क्षमा, उत्तम आर्जव, शौर्य, संयम, तप, त्याग, आकिंचन और ब्रम्हचर्य शामिल है. उन्होंने कहा कि जैन धर्म का यह पर्व सत्य और अहिंसा के मार्ग पर भी लोगों को ले जाने की प्रेरणा देता है, जिसे समाज के हर धर्म का व्यक्ति अपनाकर अपने जीवन को सुखमय बना सकता है. उन्होंने कहा कि जैन धर्म कहता है कि सूर्यास्त से पहले ही भोजन कर लिया जाए, तो जीवन कई तरह के रोगों से मुक्त हो जाता है. पर्यूषण पर्व के दौरान 10 दिनों तक एक ही समय भोजन का विधान है. कुछ लोग तो सिर्फ जल ग्रहण करके ही पूजा करते हैं. महिलाएं तीन से लेकर दस दिन तक उपवास कर जाती हैं.

उन्होंने कहा कि भगवान महावीर ने जियो और जीने दो का जो संदेश दिया है, वह हर मनुष्य के लिए एक आदर्श चीज है. महावीर जी ने सत्य, अहिंसा,अपरिग्रह,चर, ब्रह्मचर्य की बात कहां है. इसमें से जो भी धर्म व्यक्ति अपनाएगा उसके जीवन में सुख और लाभ की प्राप्ति होगी. हर संभव लोगों की मदद करके आगे बढ़ो यह जीवन का लक्ष्य होना चाहिए. जैन समाज इन्हीं आदर्शों के साथ आगे बढ़ता है. उन्होंने कहा कि पूरे वर्ष भर समाज के सभी भाई अपने रोजगार और अन्य कार्यों में व्यस्त होते हुए जो गलतियां करते हैं उन्हें दूर करने, उसके लिए प्रभु से क्षमा मांगने और आपसी भाईचारे को बनाए रखने में यह पर्व बड़ा योगदान देता है. इस दिन सभी एकजुट होकर एक दूसरे से क्षमा याचना करते हैं, तो इस पर्व की महत्ता अपने आप जहां सिद्ध होती है, वहीं बढ़ भी जाती है.

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Last Updated : Sep 18, 2021, 8:36 PM IST

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