गोरखपुर:वैश्विक महामारी कोरोना की दूसरी लहर ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है. सरकार ने कोविड-19 की सभी गाइडलाइन का पालन करने का निर्देश भी जारी कर दिया गया है. मास्क के साथ दो गज की दूरी और हाथ को धोते रहने के निर्देश दिए गए हैं. कोरोना की जांच करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को पीपीई किट पहनना अनिवार्य कर दिया गया है. इसके बाद भी जिले में प्रोटोकॉल को ताक पर रखकर स्वास्थ्यकर्मी बगैर पीपीई किट पहने ही जांच कर रहा है. ऐसे में कोरोना वायरस के फैलने का खतरा बढ़ जाता है. हालांकि, जब लोगों ने विरोध जताया तो स्वास्थ्यकर्मी ने पीपीई किट पहन ली.
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स्वास्थ्यकर्मी बिना पीपीई किट पहने आए नजर
प्रदेश सरकार वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए जिला और स्वास्थ्य विभाग को जांच की संख्या बढ़ाने के लिए कह रही है. इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति कर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं. ताजा मामला जनपद के जिला चिकित्सालय के बगल में बने निःशुल्क कोविड-19 सेंटर का है. वहां मानकों को ताक पर रखते हुए स्वास्थ्यकर्मी बिना पीपीई किट पहने आने वाले लोगों का जांच कर रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की इस लापरवाही से लोगों में वैश्विक महामारी फैलने का खतरा बना हुआ है.
लापरवाही से हो सकता है खतरा
चाचा की जांच कराने आए बृजेश राम त्रिपाठी ने बताया कि उनका अल्ट्रासाउंड होना था. इसलिए चिकित्सक ने कोविड जांच कराने के लिए भेज दिया. उन्होंने कहा कि सरकार ने जब पीपीई किट उपलब्ध कराया हुआ है, तो स्वास्थ्यकर्मियों को इस तरह की लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जरूरी नहीं है कि हर जांच कराने आने वाला व्यक्ति पॉजिटिव हो. लेकिन, एक भी पॉजिटिव निकला तो उसके संपर्क में आने वाला स्वास्थ्यकर्मी खुद की, अपने परिवार की और आसपास मौजूद लोगों की जान के लिए खतरा पैदा कर सकता है. इसलिए उनके टोकने के बाद स्वास्थ्यकर्मी ने पीपीई किट पहन ली.