गोरखपुर : भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां का मौसम एवं जलवायु प्रत्येक फसल के लिए मुफीद माना जाता है. मिट्टी और बीज का तालमेल मिलने पर फसल की बम्पर पैदावार होती है. ऐसा ही कुछ नजारा गोरखपुर मुख्यालय से बीस किलोमीटर दूरी पर बरगदहीं गांव स्थित एक लीची के बगीचे का है. जहां इन दिनों चाइनीज प्रजाति के पेड़ों पर लीची के गुच्छे देखते ही बन रहे हैं.
जानें क्या है, चाइनीज लीची की विशेषता ?
यहां के लोगों में चाइनीज लीची नकदी फसल के रुप धूम मचा रही है. यहां इसकी जबरदस्त मांग है. इसका जायका और पैदावार अन्य प्रजातियों से बेहतर है. इस प्रजाति का फल जून के अन्तिम माह तक पक कर तैयार होता है. इसका रंग सुर्ख लाल और आकार अण्डाकार होता है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि फसल के अन्दरुनी भाग में कीड़े लगने की संभावना बहुत कम होती है.
शाही प्रजाति लीची का खट्टा-मीठा होता है स्वाद
शाही वैराइटी की लीची अगैती फसल है. एक पेड़ में इसकी पैदावार लगभग 80 से 100 किलो होती है. यह फसल गोरखपुर की मृदा और मौसम के लिए उपयुक्त है लेकिन धूप लगने से इसका छिलका जलकर काला पड़ जाता है. फसल पकने पर इसका रंग गहरा लाल और पीला हो जाता है. फली का रंग इसके लिए मायने नहीं रखता. फली का रंग हरा हो या पीला, इसका स्वाद खट्टा-मीठा होता है.
चाइनीज लीची का बाजार में मिलता है बेहतर भाग
चाइनीज वैराइटी की लीची का बाजार में बढ़िया भाव मिलता है. जैसे-जैसे इसमें गूदा पड़ने लगता है, ये पूरी तरह गोल अण्डाकार का हो जाता है. इसकी वैराइटी शाही से बेहतर होती है. इसका रंग सुर्ख लाल होता है. यह बाजार में सबसे अन्तिम तक उपलब्ध रहता है और इसका भाव भी बेहतर मिलता है.