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Year Ender 2021: गोरखपुर में विकास के कई कीर्तिमान बने, कई बड़ी परियोजनाएं अधर में - gorakhpur development projects

वर्ष 2021 में गोरखपुर में विकास के कई कीर्तिमान बने. वहीं कई परियोजनाएं ऐसी भी रहीं, जिनके पूरा होने का इंतजार लोगों ने पूरे साल किया.

gorakhpur year ender 2021
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Published : Dec 31, 2021, 4:45 PM IST

गोरखपुर: वर्ष 2021 का दिन शुक्रवार आखिरी दिन था. साल में गोरखपुर विकास के कई कीर्तिमान बनाने में कामयाब रहा है, लेकिन उनके इस कीर्तिमान पर दो बड़ी परियोजनाओं के धरातल पर नहीं उतरने से दाग लगा है. इसमें सबसे बड़ी परियोजना शहर में शुरू होने वाली मेट्रो परियोजना थी, जिस पर करीब 46 सौ करोड़ खर्च होने का अनुमान था.

गोरखपुर में सीएम योगी

इसी प्रकार अंग्रेजों के जमाने की बिल्डिंग में संचालित हो रहा गोरखपुर का जिलाधिकारी कार्यालय भी शिलान्यास के बाद अपनी निर्माण की रूपरेखा नहीं तैयार कर पाया. मुख्यमंत्री ने इसका शिलान्यास भी किया, लेकिन वह कब शुरू होगा इसका इंतजार अब भी जारी है. मुख्यमंत्री की बड़ी घोषणा में इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम भी शामिल था. एयरपोर्ट की तर्ज पर गोरखपुर रेलवे स्टेशन के निकट के बस अड्डे को भी बनाया जाना था, लेकिन यह योजनाएं भी मूर्त रूप नहीं ले सकीं.

गोरखपुर में जिलाधिकारी कार्यालय

शहर सिर्फ सड़कों के चौड़ीकरण, रामगढ़ ताल से जुड़ी विभिन्न योजनाओं के विकास और निर्माण की तस्वीर दिखाता रहा. हां ये जरूर है कि इस वर्ष गोरखपुर शहर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्षों से बंद पड़े खाद कारखाने और एम्स की सौगात दी.


गोरखपुर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री ने प्रदेश के पहले वाटर स्पोर्ट्स कांप्लेक्स का लोकार्पण 30 दिसंबर को कर दिया. कुछ ऐसे प्रोजेक्ट हैं, जो लोगों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं. इनका निर्माण शुरू न होना डेवलपमेंट का डाउनफॉल माना जा रहा है. इन परियोजनाओं पर करीब 204 करोड़ खर्च होने हैं.

गोरखपुर में संभागीय परिवहन अधिकारी कार्यालय

इन परियोजनाओं में इंटरनेशनल स्पोर्ट्स स्टेडियम, गोरखपुर बस अड्डा, कलेक्ट्रेट परिसर और प्राइमरी स्कूल को अपग्रेड किया जाना शामिल हैं. करीब 25 करोड़ से गोरखपुर डिपो बस अड्डे को पीपीपी मॉडल के तहत बनाया जाना था. इसके लिए सात बार टेंडर भी हुए, लेकिन टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी.

निगम के अधिकारियों की मानें तो गोरखपुर डिपो का निर्माण कार्य तभी शुरू हो सकेगा, जब मुख्यालय से किसी ठेकेदार को इसका जिम्मा मिलेगा. वहीं तीन चरणों में बनने वाले इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम के पहले चरण का प्रस्ताव भी तैयार है.

इसमें 10 हजार दर्शकों की क्षमता वाले स्टेडियम के निर्माण पर सौ करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है. काम पूरा होने में करीब एक साल लगना था. जिले के तत्कालीन डीएम के. विजेंद्र पांडियन ने इसके लिए इंडियन आयल कॉरपोरेशन लिमिटेड के कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी फंड से निर्माण में मदद करने की बात भी कही थी, लेकिन वह काम भी नहीं हो सका. स्टेडियम को तीन चरणों में 50 हजार दर्शक क्षमता का बनाया जाना था, लेकिन प्रोजेक्ट पूरी तरह ठंडे बस्ते में है.

यही हाल मेट्रो रेल परियोजना की रहा, जिसकी घोषणा मुख्यमंत्री ने अपने पहले कैबिनेट बैठक में की थी. करीब पांच साल गुजरने के बाद भी सिर्फ डीपीआर और प्रस्ताव पर ही हर साल केवल चर्चा होती दिखी. एक बार फिर मुख्यमंत्री ने 29 दिसंबर को गोरखपुर में खुले मंच से मेट्रो ट्रेन चलाने और सी प्लेन उड़ाने की बात कही. अब देखना है कि ये प्रोजेक्ट कब शुरू हो पाता है.

इसी प्रकार 1902 के कलेक्टर भवन को गिराकर 61 करोड़ की लागत से 5 मंजिला नया इंट्रीग्रेटेड कलेक्ट्रेट भवन बनाया जाना है. बजट होने के बाद भी यह कार्य अभी तक क्यों नहीं शुरू हो पाया, इस पर अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है. जनवरी के पहले हफ्ते में भी अगर इसका निर्माण शुरू नहीं हो पाता है, तो चुनावी वर्ष में इसका निर्माण कार्य अटक जाएगा. इसी प्रकार शहर के वार्ड नंबर 18 में बनाए जाने वाले प्राइमरी स्कूल के निर्माण कार्य का शुभारंभ भी अभी तक नहीं हो पाया है.

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इसके लिए पूर्व में डीएम ने 18 लाख रुपए स्वीकृत कर दिये थे. मौजूदा डीएम विजय किरन आनंद ने इसके लिए बीएसए रविंद्र सिंह को फटकार भी लगायी थी. बावजूद इसके निर्माण अभी शुरू नहीं हो पाया है. सपा जिलाध्यक्ष नगीना साहनी ने कहा कि अगर योगी सरकार को अपनी बड़ी उपलब्धियों को गोरखपुर में बताना है तो उसके लिए उन्हें यहां मेट्रो रेल को लाना था, जो वह नहीं कर पाए. यह सिर्फ शहर वासियों के लिए घोषणा बनकर रह गई है.

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