गोरखपुर: कोरोना की महामारी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकल फॉर वोकल और आपदा को अवसर में बदलने की सलाह ने गोरखपुर क्षेत्र को रेडीमेड गारमेंट का हब बनने की ओर अग्रसर कर दिया है. पूरे पूर्वांचल समेत नेपाल और बिहार के पश्चिमी क्षेत्र के इस व्यवसाय से जुड़े लोग रेडीमेड गारमेंट के लिए दिल्ली, पंजाब, लुधियाना, गुजरात और मुंबई पर निर्भर हुआ करते थे. अब निर्भरता को कम करने और इस व्यवसाय से इन शहरों में जुड़े हुए लोगों को स्थानीय स्तर पर ही रोजगार देने की पहल गोरखपुर के औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) में शुरू हो गया है.
गोरखपुर में सस्ता, टिकाऊ और आकर्षक रेडीमेड गारमेंट तैयार करने में हुनरमंद कारीगर तो जुटे ही हैं. इस व्यवसाय के स्थापित होने से आस-पास की घरेलू महिलाओं को भी रोजगार से जोड़ा गया है, जो एक बड़ी उपलब्धि है. इस काम की सबसे पहले शुरुआत युवा व्यवसायी और सामाजिक कार्यकर्ता रमाशंकर शुक्ला ने शुरू किया है. कोरोना की महामारी के दौरान तमाम हुनरमंद दिल्ली, पंजाब, लुधियाना, गुजरात से अपने घर को लौट आए थे. उनके हाथ खाली थे, लेकिन हुनर से भरे थे. अब इन्हें पहचानने के बाद इस युवा व्यवसायी ने रेडीमेड गारमेंट की फैक्ट्री की स्थापना औद्योगिक क्षेत्र (गीडा) में किया.
रमाशंकर शुक्ला ने अत्याधुनिक मशीनों को मंगाकर फैशन को टच देते हुए आकर्षक रेडीमेड गारमेंट यहां तैयार कराना शुरू किया तो इसकी डिमांड भी तेजी के साथ बढ़ने लगी. क्षेत्र के जो व्यवसायी दिल्ली, मुंबई, लुधियाना और गुजरात पर निर्भर थे, उनकी अधिकतम आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सद्गुरु नाम की यह गारमेंट फैक्ट्री काफी मददगार साबित हो रही है.