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कोहरा नहीं रोक पायेगा ट्रेनों की रफ्तार, फॉग सेफ्टी डिवाइस बनेगा हथियार - safety device in trains

फॉग सेफ्टी डिवाइस (Fog Safety Device) ऐसा डिवाइस है जो जीपीएस टेक्नोलॉजी (GPS Technology) पर काम करता है. इस डिवाइस की मदद से घने कोहरों के बीच भी ट्रेनों की हाई स्पीड को बनाए रखा जा सकता है.

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Published : Nov 12, 2022, 5:20 PM IST

Updated : Nov 12, 2022, 5:49 PM IST

गोरखपुरः ठंड का मौसम शुरू होते ही कोहरा पड़ना शुरू हो चुका है. मध्य रात्रि का समय हो या सुबह का दौर कोहरे ने धीरे-धीरे रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी है. इन कोहरों की वजह से ट्रेनों की गति प्रभावित हो रही है. दिवाली के बाद से पूर्वोत्तर रेलवे (North Eastern Railway) की तमाम ट्रेनें इससे प्रभावित हुई हैं. ट्रेनों की इस लेटलतीफी को खत्म करने के लिए रेलवे ने यात्रियों को सुरक्षित और संरक्षित यात्रा देने के लिए लगभग 220 से अधिक ट्रेनों में 'फॉग सेफ्टी डिवाइस' (Fog Safety Device) शुरू करने जा रहा है.

जानकारी देते जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह.

ट्रेनों के परिचालन पर कोहरे के कारण पड़ने वाले असर इस डिवाइस के माध्यम से प्रभावित नहीं होगा. इससे ट्रेनों को निश्चित समय पर गंतव्य तक पहुंचाया सकेगा. इस डिवाइस की खास बात यह है कि इसमें सुरक्षित यात्रा होना तय होगा. क्योंकि, कोहरे की वजह से जो सिग्नल लोको पायलट यानी की ट्रेन के चालक देख नहीं पाते थे. उसकी जानकारी उन्हें इस डिवाइस के माध्यम से उपलब्ध होगी. वह ट्रेनों की गति नियंत्रित करते हुए समय अनुकूल समय पर विभिन्न स्टेशनों से होते हुए अपनी ट्रेनों को आगे बढ़ा सकेंगे. जिसका लाभ यात्रियों को मिलेगा.

इस फॉग सेफ्टी डिवाइस (Fog Safety Device) को सभी लोको पायलटों को उपलब्ध कराए जाएंगे.जो ड्यूटी समाप्त होने के बाद इसे क्रू लॉबी में जमा करेंगे जिससे दूसरे ड्राइवर इसे ले जा सकें. पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह की माने तो घने कोहरे की वजह से जब ड्राइवर को सिग्नल दिखाई नहीं देता तो इससे ट्रेन की गति भी प्रभावित होते हुए सुरक्षा का भी खतरा बना रहता है. लेकिन अब इंजन में इस डिवाइस के लग जाने के बाद पहले से फीड डाटा के आधार पर प्रत्येक सिग्नल से पहले ड्राइवर को उसकी दूरी की जानकारी होती रहेगी. अगर सिग्नल ड्राईवर को किसी वजह से दिखाई नहीं देता है तो यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए ड्राइवर ट्रेन की गति को नियंत्रित करते हुए आगे बढ़ेगा. जैसे ही उसे सिग्नल दिखाई देगा उसे सिग्नल की लाइट के हिसाब से अपनी ट्रेन का संचालन तय करने में सहूलियत मिलेगी. करीब 500 मीटर पहले यह डिवाइस सिग्नल की स्टेटस ड्राइवर को देने लगेगा. यह डिवाइस लोको पायलट को अलार्म बजाकर सिग्नल के आने से पहले उसकी जानकारी देगा.

पूर्वोत्तर रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी (Public Relations Officer of North Eastern Railway) पंकज कुमार सिंह ने बताया कि यह डिवाइस जीपीएस (GPS Technology)के माध्यम से काम करेगी. इसके लगने के बाद घने कोहरे में भी सिग्नल क्रॉसिंग कितनी दूरी पर ट्रेन से है इसकी जानकारी मिलती जाएगी. डिवाइस के द्वारा बताई गई सिग्नल क्रॉसिंग या रेलवे स्टेशन की दूरी के आधार पर ही ट्रेन की गति को ट्रेन ड्राइवर नियंत्रित रखेंगे. जिससे सुरक्षा संरक्षा तो होगी ही समय की बर्बादी भी नहीं हो पाएगी. मुख्य जनसंपर्क अधिकारी ने कहा कि इसके अलावा रेलवे के जो फाटक हैं. वहां भी सुरक्षा के लिए रेट्रो रिफ्लेक्टिव पेंट (Retro Reflective Paint) या स्ट्रिप का प्रयोग किया जाता है. जिससे यात्रा सुरक्षित हो. उन्होंने कहा कि समय के साथ या डिवाइस सभी लोकोमोटिव्स में लगा दिए जाएंगे. इससे ट्रेनों का संचालन समय से होगा.

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Last Updated : Nov 12, 2022, 5:49 PM IST

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