गोरखपुरः प्रदेश की योगी सरकार आगामी 22 फरवरी को अपन इस कार्यकाल का पांचवां और अंतिम बजट पेश करने जा रही है. माना जा रहा है कि इस बार का बजट चुनावी होने के साथ-साथ भारी-भरकम भी हो सकता है. 2017 में सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्वांचल के विकास पर जोर देना शुरू किया. शुरुआत में सीएम का ज्यादातर फोकस गोरखपुर और उसके आसपास जिलों पर रहा. बीते बजट में राज्य सरकार के गोरखपुर में मेट्रो परियोजना के लिए 200 करोड़ का बजट भी रखा. अब जब सरकार अपने कार्यकाल का अंतिम बजट पेश करने जा रही है, ऐसे में गोरखपुर मेट्रो जनता की उम्मीदों पर कितनी आगे बढ़ी इसको जानने के लिए ईटीवी भारत गोरखपुर वासियों के बीच पहुंचा.
बता दें कि बीते साल अक्तूबर महीने में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में गोरखपुर में लाइट रेल ट्रांजिट (एलआरटी) परियोजना को हरी झंडी दी गई थी. कैबिनेट ने गोरखपुर महानगर में यातायात व्यवस्था को सुगम एवं सुचारू बनाने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम के रूप में लाइट रेल ट्रांजिट (एलआरटी) परियोजना क्रियान्वयन तथा डीपीआर को अनुमोदन दिया था. इसके पहले सरकार के इसके लिए बजट 200 करोड़ रुपये का प्रावधान भी किया था. जिसके बाद से लोगों को मेट्रो के काम में तेजी आने की उम्मीद थी. फिलहाल जून 2017 में सर्वे से शुरू हुआ गोरखपुर मेट्रो की तैयारियों का सफर करीब चार साल बाद अब डीपीआर तैयार होने तक पहुंच चुका है.
सीएम योगी ने डीपीआर में किया बदलाव
साल 2019 के अंत में इस डीपीआर में बदलाव किया गया. इस बदलाव के बाद तीन जनवरी 2020 को लखनऊ में हुई एक बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने गोरखपुर में चलने वाले मेट्रो परियोजना संबंधी कार्यों का प्रस्तुतीकरण किया गया. मुख्यमंत्री ने ही तीन बोगियों वाली मेट्रो का प्रस्ताव तैयार करने के साथ ही रेलवे स्टेशन के पास ही मेट्रो स्टेशन तैयार करने का निर्देश दिया था. इसके बाद डीपीआर में एक और बड़ा बदलाव कर दो बोगियों की जगह तीन बोगियों वाली गोरखपुर मेट्रो का प्रस्ताव तैयार किया.
गोरखपुर में इस परियोजना के लिए मेट्रो मैन ई. श्रीधरन का दौरा भी हो चुका है. गोरखपुर विकास प्राधिकरण के कार्यालय में इसके लिए एक कमरा भी आवंटित हुआ है जहां पर मेट्रो से संबंधित कार्य हो सके, लेकिन घोषणा के चार साल में भी जमीन पर कोई काम नहीं होने से इसको लेकर लोगों के मन मे संसय है. यही वजह है कि बजट में इसपर लोगों का ध्यान है.
अभी तक मेट्रो का एक पिलर भी नहीं खड़ा हो सका
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने पहले कैबिनेट में गोरखपुर को मेट्रो रेल परियोजना की सौगात दिया था. लेकिन सरकार के 4 साल पूरे होने के बाद भी यह परियोजना सिर्फ कागजों पर ही दौड़ रही है. इस सरकार का यह आखरी बजट भी है, अगर इसमें भी मेट्रो के लिए पूरे धन का आवंटन नहीं होता है और सरकार इसके निर्माण की तिथि का उल्लेख नहीं करती है तो यह गोरखपुर वासियों के साथ धोखा तो होगा ही योगी सरकार की बहुत बड़ी नाकामी भी होगी. लोगों ने उम्मीद जताई है कि योगी को अपने इस बजट में अपने शहर गोरखपुर को यह तोहफा हर हाल में देना ही चाहिए.
लोगों ने दी मिलीजुली प्रतिक्रिया
मेट्रो परियोजना के अभी तक शुरू नहीं होने पर लोगों ने मिली- जुली प्रतिक्रिया दी है. आम लोगों ने तो इस पर राजनीतिक से हटकर अपनी बात कही तो भाजपा के लोग बोलने को ही तैयार नहीं हुए. वहीं समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपसभापति नगर निगम जियाउल इस्लाम ने कहा कि मेट्रो परियोजना योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकता में शामिल थी. आखिर क्या वजह है कि उनकी सक्रियता और चाहत के बाद भी मेट्रो का एक खम्भा भी 4 साल में नहीं खड़ा हो सका. जबकि प्रदेश की समाजवादी सरकार ने अखिलेश यादव के नेतृत्व में केंद्र सरकार से बिना मदद लिए लखनऊ में मेट्रो रेल परियोजना पूर्ण करके दिखाया. कानपुर में भी शुरुआत हुई. यह सरकार भी जहां कुछ कर रही है उसके पीछे भी अखिलेश सरकार की ही परियोजना काम कर रही है.
शहर वासियों ने कहा कि योगी के प्रयास में कोई कमी नजर नहीं आ रही. लगता है केंद्रीय सरकार राह में रोड़े अटका रही है. तो वही एक बुजुर्ग ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि यह परियोजना यहां पूरी होगी. वरिष्ठ अधिवक्ता अजय पाठक ने कहा कि सीएम योगी को अपने बजट में मेट्रो परियोजना के लिए स्पष्ट रूप पेश करना होगा तभी जनता में विश्वास जागेगा. नहीं तो इसे बनाने के लिए योगी को प्रदेश में दोबारा सरकार बनाना होगा.