गोरखपुर: गोरखपुर विकास प्राधिकरण की महायोजना यानी कि मास्टर प्लान, जमीन के क्रेता और विक्रेताओं के सामने बड़ी समस्या पैदा किया है. यही नहीं इसकी वजह से रजिस्ट्री कार्यालय की आय भी करीब 40% प्रभावित हुई है. एक वर्ष पूर्व से महायोजना को लेकर प्राधिकरण के द्वारा की जा रही है. रस्साकशी में यह लोग पिस रहे हैं. अपने विस्तार क्षेत्र को घोषित करने के साथ ही प्राधिकरण ने लोगों से इन क्षेत्रों में जमीन की खरीद फरोख्त करने में सावधानी बरतने की अपील की है. जिसका नतीजा है कि लोग जमीन खरीदने से डर रहे हैं.
विक्रेता भी लाख उपाय के बाद जमीन बेच नहीं पा रहे हैं. वहीं, जीडीए बोर्ड ने अपनी बैठक में जो मास्टर प्लान तैयार किया. उस पर मोहर लगाने के लिए करीब छह माह पहले फाइल शासन को भेज दी गई है. लेकिन, अभी उस पर शासन की मोहर नहीं लग पाई है, जिसका लोग इंतजार कर रहे हैं. कई तरह की समस्या भी उठा रहे हैं. माना जा रहा है कि मास्टर प्लान के फाइनल होने के बाद विक्रेता और रजिस्ट्री कार्यालय तो कोई नुकसान नहीं उठाएगा, लेकिन जो खरीदार होंगे उनके ऊपर बढ़ी हुई कीमतों का बोझ आना तय है.
सदर तहसील के उप निबंधक द्वितीय प्रसेनजीत सिंह कहते हैं कि गोरखपुर विकास प्राधिकरण के विस्तारित क्षेत्र में जमीनों की रजिस्ट्री में कमी आई है. इसी क्षेत्र में जमीनें भी हैं. दीपावली और दशहरे जैसे पर्व पर भी कुछ खास रजिस्ट्री नहीं हुई. एक समय में सैकड़ों की संख्या इस दिन में रजिस्ट्री होती थी. लेकिन, दीपावली के दिन मात्र 25 रजिस्ट्री हुई. लोग भू उपयोग निर्धारित होने का इंतजार कर रहे हैं. जिससे उन्हें किसी प्रकार का नुकसान न उठाना पड़े.
सामान्य दिनों की तुलना में करीब 40 प्रतिशत रजिस्ट्री में कमी आई है. रजिस्ट्री से जुड़े अधिवक्ता आनंद त्रिपाठी और दस्तावेज लेखक बलराम सिंह कहते हैं कि छह माह पहले तक उनके तख्ते पर खरीदार और विक्रेता दोनों की भीड़ लगती थी. लेकिन, अब उनके तख्ते पर इक्का दुक्का लोग ही आते हैं. कुछ रजिस्ट्री तो कुछ जमीन की जांच पड़ताल करने पहुंचते हैं. पहले की तुलना में रजिस्ट्री नहीं हो रही है.