उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

गोरखपुर की थैलेसीमिया मरीज खुद को मानती हैं योद्धा, प्रदेश की पहली नेट क्वालीफाई करने वाली बनी महिला

विश्व थैलेसिमीया दिवस 8 मई को मनाया जाता है. गोरखपुर में थैलेसीमिया बीमारी से लड़कर स्निग्धा चटर्जी एक योद्धा के रूप में अपने आपको खड़ी कर चुकी हैं. उनके इस कार्य के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ भी उन्हें सम्मानित कर चुके हैं.

स्निग्धा चटर्जी
स्निग्धा चटर्जी

By

Published : May 8, 2023, 6:31 PM IST

थैलेसीमिया बीमारी से लड़ने वाली स्निग्धा चटर्जी और उनके पिता ने बताया.

गोरखपुर: थैलेसीमिया एक जानलेवा बीमारी मानी जाती है. अगर इसकी पहचान और इलाज समय से न हो, तो यह रोगी की जान ले सकती है. यह अनुवांशिक बीमारी मानी जाती है. इसकी चपेट में आने वाले मासूम जहां जिंदगी के लिए जंग लड़ते हैं, वहीं थैलेसीमिया बीमारी से पीड़ित "स्निग्धा चटर्जी" ने पढ़ाई के उच्च शिखर को छूने के साथ ही प्रदेश की पहली नेट क्वालीफाई करने वाली थैलेसीमिया मरीज बन गई हैं. वह इस बीमारी से पीड़ित मरीजों को बचाने के लिए एक बड़े अभियान के लिए निकल पड़ी हैं. जिसके लिए सीएम योगी आदित्यनाथ उन्हें विभिन्न मंचों से सम्मानित कर चुके हैं.

आठ मई को पूरी दुनिया विश्व थैलेसीमिया दिवस के रूप में मनाती है. इस दिन ईटीवी भारत से बात करते हुए थैलेसीमिया बीमारी से पीड़ित स्निग्धा चटर्जी ने बताया कि वह मात्र 3 माह की अवस्था से ही इस बीमारी की चपेट में आ गई थीं. मौजूदा समय में वह 26 साल की हैं. आज से 26 साल पहले तक इस बीमारी का इलाज गोरखपुर जैसी जगह पर उनके अभिभावकों के लिए बहुत कठिन कार्य था. समय और संसाधन के अभाव में उनके अभिभावक और उसने खुद बड़ी हिम्मत से इस बीमारी को न सिर्फ मात दी, बल्कि अब थैलेसीमिया बीमारी से पीड़ित मरीज नहीं, वह एक योद्धा के रूप में अपने आपको खड़ी कर चुकी हैं.

गोरखपुर क्षेत्र में 150 से ज्यादा थैलेसीमिया बीमारी से पीड़ित मरीज हैं. जिनको वह अपने से जोड़कर मदद पहुंचाने में जुट गई हैं. स्निग्धा चटर्जी ने बताया कि इस बीमारी से जूझने वाले छोटे-छोटे बच्चों को देखकर बहुत ही दर्द होता है. इसी दर्द से उबारने के लिए वह सरकार और समाज के जागरूक लोगों के साथ जुड़कर इसकी मुख्य समस्या को खत्म करने के प्रयास को आरंभ कर चुकी हैं.

उन्होंने बताया कि सिर्फ रक्त चढ़ा देने से थैलेसीमिया का मरीज ठीक नहीं हो जाता है. इसके साथ ही वह आयरन के ओवरलोड होने जैसी खतरनाक समस्या का भी शिकार हो सकता है. जो मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो जाएगा. उन्होंने बताया कि थैलेसीमिया मरीज के शरीर में आयरन की मात्रा एक हजार से कम होनी चाहिए. यह पेशंट में रक्त चढ़ाने के बाद जांच किए जाने की जरूरत है. हर 3 माह में इसकी जांच होनी चाहिए. नहीं तो आयरन के ओवरडोज होने से शरीर में अन्य समस्यायें होने लगती हैं. साथ ही शरीर के जरूरी अंग निष्क्रिय होने लगते हैं.

थैलेसीमिया बीमारी से लड़कर स्निग्धा चटर्जी अच्छी शिक्षा और आगे इस विषय पर शोध कार्य करना चाहती हैं. समाज को और इस बीमारी से जूझने वालों के बीच खुद को रोल मॉडल और एक शक्ति स्तंभ के रूप में प्रस्तुत करना चाहती हैं. जिसके लिए उसने अपनी संस्था का नाम "फाइट अगेंस्ट थैलेसीमिया" दिया है. उनके पिता सनत कुमार चटर्जी ने बताया कि वह बड़ी मुश्किलों और आर्थिक संकट से जूझते हुए अपनी बेटी को यहां तक खड़ा होते देखा है. अब उसकी सफलता उन्हें उत्साहित करती हैं.

सनत चटर्जी ने बताया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री, मंत्री, जिलाधिकारी, गोरखपुर स्वास्थ विभाग के अधिकारी जब बेटी के जुझारूपन की तारीफ करते हैं. इसके बाद वह सभी संघर्ष और आर्थिक संकटों को भूल जाते हैं. उन्होंने कहा कि एक पिता होने के नाते वह कहते हैं कि बेटी ने जिस मुकाम की ओर थैलेसीमिया के मरीजों की मदद की.उसके बाद उसी ओर अपना कदम बढ़ा दी है. ईश्वर इसमें उसकी मदद करें. यह बीमारी जड़ से समाप्त हो. जिससे कोई बच्चा बेसमय काल के गाल में ना समाए. स्निग्धा ने बताया कि कि जिस प्रकार शादी के लिए जन्म कुंडली मिलाई जाती है. उसी प्रकार रक्त कुंडली का मिलान होना जरूरी है. इससे अनुवांशिक बीमारी से ऐसे बच्चों को जन्म देने से रोका जा सकता है.

थैलेसीमिया बीमारी से पीड़ित मरीजों के परिजन उनकी जिंदगी को बचाने के लिए जंग लड़ते हैं. इसका इलाज भी बेहद महंगा है. इलाज में थोड़ी सी लापरवाही जानलेवा हो जाती है. सन् 2016 के बाद सरकार ने इस बीमारी से जूझ रहे बच्चों को, दिव्यांग की श्रेणी में शामिल कर इन्हें इलाज की मुफ्त सुविधा तो दे दिया है. लेकिन शहरों में इसके इलाज का बेहतर और स्थाई इलाज का केंद्र नहीं है. जिसके लिए "हेमेटोलॉजी" जैसे विभाग का होना बेहद जरूरी है.

यह भी पढ़ें- यह भी पढ़ें- चेन स्नेचिंग की घटनाओं से खौफ में राजधानी लखनऊ की महिलाएं, बोलीं-अब खुद ही रहना होगा सावधान

ABOUT THE AUTHOR

...view details