गोरखपुरः सरकारी योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए जिला प्रशासन लैंड बैंक बनाने की कवायद में जुटा है. सीलिंग की (सरकारी) जमीनों पर दशकों पहले हुए कब्जे की बेदखली की कार्रवाई की जा रही है. जांच में जुटे जिला प्रशासन को मात्र दो तहसील- चौरी चौरा और सदर तहसील में ही करीब 1400 सौ एकड़ सीलिंग भूमि मिली है, जिसे लोगों ने खरीद कर उस पर मकान बनावा लिया है. वहीं, अन्य क्षेत्रों में उस पर प्लॉटिंग की गई है. अब जिला प्रशासन ने इसे अवैध मानते हुए, यहां बसे नागरिकों और जमीन मालिकों को नोटिस जारी कर रहा है. इससे जमीन मालिकों के लिए मुसीबत खड़ी हो गई है.
दरअसल सीलिंग में जो 14 सौ एकड़ भूमि चिन्हित की गई है. वह 17 गांव से जुड़ी हुई है. इसकी खरीद बिक्री पर फिलहाल रोक लगा दी गई है. इनमें अधिकतर हिस्सा खोराबार, भटहट पिपराइच ब्लॉकों का है. सदर तहसील में महादेव झारखंडी, रामगढ़ ताल के किनारे का क्षेत्र सीलिंग में चयनित किया गया है. सीलिंग पंजिका में दर्ज गाटा नंबरों को चिन्हित करने की प्रक्रिया करीब एक महीने में पूरी की गई थी. इसमें सदर तहसील क्षेत्र से एसडीएम नेहा बंधु के नेतृत्व में राजस्व कर्मी इस कार्य में लगे थे. गाटा सार्वजनिक होने के बाद आपत्तियों के निस्तारण को लेकर तहसील प्रशासन ने तैयारी कर ली है. फिर भी यह व्यवस्था ऐसी जमीनों पर बसे हुए लोगों के लिए परेशानी का कारण बन रही है.
जिला प्रसाशन ने चौरी चौरा और सदर तहसील की 14 सौ एकड़ भूमि को सरकारी बताया है. भूमि की रजिस्ट्री और खारिज दाखिल की प्रक्रिया भी जमीन मालिकों के हक में पूरी कराई जा चुकी है. गौर करने वाली बात यह है कि ऐसी भूमि जब सरकारी थी तो खरीद बिक्री पर राजस्व प्रशासन ने पहले कोई रोक नहीं लगायी. लेकिन, अब जिला प्रशासन के इस कार्रवाई से लोगों की मुसीबत बढ़ गई है.