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अवैध कॉलोनी पर गोरखपुर विकास प्राधिकरण कसेगा शिकंजा, रेरा के नियमों का उल्लंघन पड़ेगा भारी

अवैध कॉलोनी पर गोरखपुर विकास प्राधिकरण ने शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है. अवैध कॉलोनियों को रेरा के नियमों का उल्लंघन करना भारी पड़ेगा. देखिए यह रिपोर्ट...

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अवैध कॉलोनी पर GDA का शिकंजा

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Published : Nov 7, 2022, 12:18 PM IST

गोरखपुर: जिले के विकास के लिए तैयार की जा रही महायोजना 2031 कई तरह की समस्याएं लेकर सामने आ रही है. इसका सबसे ज्यादा सामना 'रेरा' के नियमों का उल्लंघन कर अवैध रूप से प्लाटिंग करने वाले लोगों को करना पड़ेगा. वहीं, ऐसी प्लाटिंग में जिन लोगों ने प्लॉट खरीद रखा है या मकान बनाया है. उन्हें भी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. गोरखपुर विकास प्राधिकरण (GDA) ने प्लाटिंग करने वाले ऐसे लोगों पर शिकंजा कसने के लिए ड्रोन सर्वे कराने के बाद सभी आंकड़े जुटा लिए हैं. लोगों को नोटिस दिए जाने की प्रक्रिया भी शुरू हो रही है. साथ ही शहरवासियों से प्राधिकरण के उपाध्यक्ष ने अपील की है कि वह अनियोजित कॉलोनियों में प्लाट और जमीन न लें और न ही मकान बनाने में जुटें. ताकि, उनके भविष्य की पीढ़ी को किसी भी तरह की समस्या का सामना न करना पड़े.

गोरखपुर शहर के भीतर और बाहरी क्षेत्रों में हो रही अनियोजित प्लाटिंग पर जल्द ही गोरखपुर विकास प्राधिकरण (GDA) का डंडा चलेगा. मानकों का पालन किए बिना प्लाटिंग करने वालों के विरुद्ध जीडीए उपाध्यक्ष महेंद्र सिंह तंवर ने सख्त रुख अपनाया है. ऐसे लोगों को चिह्नित कर नोटिस दी जा रही है. जल्द ही अवैध प्लाटिंग को ध्वस्त भी किया जाएगा. जीडीए के अनियोजित विकास को चिह्नित करने के क्रम में अवैध कालोनियों की जीआइएस मैपिंग भी कराई गई थी. इसमें 153 कॉलोनियों को अवैध पाया गया था. एक बार फिर जीडीए इस सूची पर काम करने जा रहा है. शहर की नई महायोजना को लागू करने की प्रक्रिया चल रही है. इस महायोजना में प्राधिकरण के विस्तारित क्षेत्र को भी शामिल किया गया है. रियल एस्टेट कारोबारी शहर से सटे क्षेत्रों में धड़ल्ले से प्लाटिंग कर रहे हैं. कुछ प्लाटिंग जीडीए के पुराने क्षेत्रों में भी हो रही है.

जीडीए उपाध्यक्ष महेंद्र सिंह तंवर ने दी जानकारी

नियमानुसार प्लाटिंग करने से पहले रेरा से स्वीकृति प्राप्त करनी होती है. जीडीए से तलपट मानचित्र स्वीकृत कराना होता है. लेकिन, अधिकतर प्लाटिंग में इन मानकों का पालन नहीं किया गया है. इन स्थानों पर जमीन लेकर घर बनाने वालों को बाद में परेशान होना पड़ता है. विस्तारित क्षेत्र में अभी तक भू उपयोग निर्धारित नहीं है. ऐसे में किसी भी प्लाटिंग में मानकों के पालन की बात करना बेमानी है. जीडीए की ओर से ऐसे लोगों को लगातार नोटिस भेजी जा रही है. जल्द ही ध्वस्तीकरण की कार्यवाही भी शुरू हो सकती है. धरातल पर सर्वे के साथ ही ड्रोन से सर्वे कराकर भी प्लाटिंग को चिह्नित किया जा रहा है.

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प्रॉपर्टी डीलरों और बिल्डरों की मनमानी पर अंकुश को लेकर जुलाई 2017 में रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट (रेरा) लागू हुआ तो आम लोगों में वैध मकान और जमीन को लेकर उम्मीदें जगी थीं. पांच साल से अधिक का वक्त गुजर चुका है. लेकिन, नोडल एजेंसी जीडीए प्रॉपर्टी डीलरों की मनमानी पर अंकुश लगाने में नाकाम है. चुनिंदा मामलों को छोड़ दें तो कमोबेश सभी हाईवे पर रेरा कानून को ठेंगे पर रख खेती, कूड़ेदान और गड्ढे में प्लाटिंग की जा रही है.

प्रॉपर्टी डीलर या बिल्डर बिना प्राधिकरण से लेआउट मंजूर कराए फ्लैट या प्लाट नहीं बेच सकता है. लेकिन, जीडीए के अफसरों की नाक के नीचे तीन दर्जन से अधिक अवैध कॉलोनियां विकसित हो रही हैं. अवैध कॉलोनियों में प्लॉट खरीदने वाले लोग मानचित्र स्वीकृत न होने की दशा में जीडीए के इंजीनियरों के शोषण का शिकार होते हैं. पिछले पांच वर्षों में गोरखपुर के मात्र 29 बिल्डरों ने रेरा के तहत जीडीए में पंजीकरण कराया है. दूसरी ओर दर्जनों बिल्डर अवैध तरीके से कॉलोनी विकसित कर रहे हैं. अवैध कॉलोनाइजर्स जीडीए से बिना लेआउट स्वीकृत कराए खेत, गड्ढे, कूड़ा निस्तारण की जमीन और तालाबों तक में प्लाटिंग कर रहे हैं. खुद जीडीए ने अभी पिछले महीने ही 153 ऐसी अवैध कॉलोनियां चिह्नित की हैं जो बिना लेआउट स्वीकृत कराए ही बसाई गई थीं.

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