गोरखपुरः एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी) चिकित्सा और चिकित्सा शोध के क्षेत्र का भारत का सबसे बड़ा संस्थान है. इसकी गोरखपुर इकाई देश की ऐसी पहली इकाई बन गई है, जहां पर आयुर्वेद विधि से उपचार शुरू कर दिया गया है. इसके साथ ही इसे प्राकृतिक चिकित्सा के साथ भी जोड़ा गया है. यहां अब यह भी जानने की कोशिश की जाएगी कि एलोपैथी के साथ-साथ आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा विधि का प्रयोग कितना कारगर है.
गौरतलब है कि एम्स में एलोपैथी से उपचार तो जारी है, लेकिन अब आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा से भी रोगों के निदान की बड़ी पहल होगी. एम्स की कार्यकारी निदेशक डॉक्टर सुरेखा किशोर ने कहा, 'प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में गोरखपुर के विश्व प्रसिद्ध केंद्र, आरोग्य मंदिर के साथ एक एमओयू साइन हुआ है. यह चिकित्सा मानव जीवन को निरोगी काया तो देती ही है, जीवन में कई तरह के और भी बदलाव का एहसास कराती है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी प्राकृतिक चिकित्सा को अपनाने पर जोर देते हैं. गोरखपुर एम्स इस विधा में बड़े शोध परिणाम लाकर लोगों को इससे जोड़ने की कोशिश करेगा. इसमें धूप, मिट्टी, पानी, हवा और योग उपचार आधार बनेगा. यहां पंचकर्म कक्ष की स्थापना हो गई है, जो शरीर के विषाक्त पदार्थ को बाहर निकालने की आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति है.'
उन्होंने आगे कहा कि नेचुरोपैथी को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा मिले, इसके लिए एम्स गोरखपुर, एकेडमिक कोर्सेज, पेशेंट केयर और मैनेजमेंट, रिसर्च पर काम होगा. इससे सिर्फ मरीज ही नहीं नॉर्मल लोग भी अपनी बीमारियों की रोकथाम कर सकते हैं. अगर बीमारियां हो गई है तो किस तरीके से उनको दूर किया जा सके, इसका लोगों को ज्ञान कराया जाएगा.