गोरखपुर :अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में कई तरह की वित्तीय अनियमितता और व्यवस्थाओं को समय पर संचालित नहीं कर पाने के आरोपों में घिरीं कार्यकारी निदेशक डॉक्टर सुरेखा किशोर को अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ गया है. मंगलवार की देर रात डॉ. सुरेखा किशोर को उनके पद से हटा दिया गया है. उनकी जगह पटना एम्स के कार्यकारी निदेशक प्रो. गोपाल कृष्ण को एम्स गोरखपुर की जिम्मेदारी दे दी गई है. हालांकि डॉ. गोपाल का कार्यकाल सिर्फ छह महीने का ही निर्धारित किया गया है.
जांच के दायरे में थी दो बेटों की नियुक्ति :डॉ. सुरेखा किशोर को हटाने की वजह भले ही सामने नहीं लाई जा रही है. सूत्रों के अनुसार डॉ. सुरेखा के खिलाफ सीवीसी की केंद्रीय टीम जांच कर रही थी. जिसमें एम्स में डॉक्टरों की भर्ती समेत उनके दो बेटों की नियुक्ति भी जांच के दायरे में थी. साथ ही एम्स के अंदर ब्लड बैंक, डायलिसिस यूनिट आदि का संचालन न कर पाना भी कारण बताया जा रहा है. प्रोफेसर सुरेखा किशोर जून 2020 में एम्स गोरखपुर में ऋषिकेश से आकर कार्यकारी निदेशक का कार्यभार संभाली थीं. उनका कार्यकाल अभी जून 2025 तक था, लेकिन 18 महीने पहले ही उन्हें हटाकर ऋषिकेश एम्स भेज दिया गया है. उन्हें 24 घंटे के अंदर बंगला खाली करने समेत सभी सरकारी सुविधाओं से खुद को मुक्त करने को भी कहा गया है. ऐसा माना जा रहा है कि सीवीसी की जांच उनके पद पर रहते निष्पक्ष रूप से संभव नहीं हो पाती, इसलिए मैडम को पद से जाना पड़ा है.
केंद्रीय सतर्कता आयोग कर रहा था जांच :एम्स के उपनिदेशक अरुण कुमार सिंह ने कहा है कि 'केंद्रीय सतर्कता आयोग डॉक्टर सुरेखा किशोर को लेकर जांच कर रहा था. जांच की निष्पक्षता प्रभावित न हो, उनके हटाए जाने के पीछे यही मूल वजह हो सकती है. डॉक्टर गोपाल कृष्ण जो पटना एम्स के कार्यकारी निदेशक हैं, वह बुधवार देर रात तक यहां का प्रभार ग्रहण कर सकते हैं. डॉ किशोर के बेटे डॉक्टर शिखर का वर्ष 2022 में माइक्रोबायोलॉजी और डॉक्टर शिवल को रेडियोथैरेपी विभाग में नियुक्ति मिली थी. जिससे प्रोफेसर सुरेखा किशोर और चर्चा में आई थीं. उनकी बायोमैट्रिक अटेंडेंस कोई और लगाता था और वह एम्स ऋषिकेश में रहते थे. ऐसी जानकारी की पुष्टि थी.