गोरखपुर: होम आइसोलेशन में रह रहे कोविड-19 के मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के इंटीग्रेटेड कंट्रोल रूम के दावे खोखले साबित हो रहे हैं. आलम यह है कि कुछ कोरोना संक्रमितों को कॉल करके खानापूर्ति की जा रही है, लेकिन उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं की जा रही. हैरानी की बात यह है कि जिन्होंने प्राइवेट पैथोलॉजी से कोरोना टेस्ट कराया है, उन्हें पूछने वाला तक कोई नहीं. प्राइवेट पैथोलॉजी से पॉजिटिव और निगेटिव की रिपोर्ट सीएमओ कार्यालय को प्रतिदिन जाती है. इस मामले पर ईटीवी भारत ने एक रिपोर्ट तैयार की है, उसमें होम आइसोलेशन में रहने वाले कुछ संक्रमित लोगों से बात की गई, तो उन्होंने प्रशासन की व्यवस्था पर सवाल उठाया.
कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल
जिले में होम आइसोलेशन के मरीजों का हाल जानने के लिए करीब 76 लोगों की टीम लगाई गई है. इसमें आयुर्वेद और होम्योपैथिक के डॉक्टर तो शामिल हैं ही, ऐसे टीचर और असिस्टेंट टीचर भी हैं जो सुबह 6 से 2 और 2 बजे से रात के 10 बजे तक मरीजों का फोन से हाल-चाल लेंगे, लेकिन होम आइसोलेशन के मरीजों को यह सुविधा नहीं मिलने से लोग निराश हैं. इस संबंध में जिले के सीएमओ डॉक्टर सुधाकर पांडेय ने बताया कि घर में रह रहे मरीजों की रिपोर्ट हर दिन इस टीम को लेनी है. अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो यह बड़ी लापरवाही है. इस पर पूछताछ की जाएगी और लापरवाह लोगों पर कार्रवाई भी होगी.
कोविड संक्रमित हुए लोगों ने बताई समस्या
जनपदवासी अमरनाथ ने बताया कि कोविड पॉजिटिव होने के बाद होम आइसोलेशन में वह जरूरी सभी दवाएं ले रहे हैं. इस दौरान कभी भी कंट्रोल रूम से किसी प्रकार की कोई कॉल नहीं आई और न ही आरआरटी के मेंबर घर पर आए. अब धीरे-धीरे वह ठीक हो चुके हैं. वहीं, प्रीति सिंह बताती हैं कि उनकी मम्मी कोविड की वजह से काफी सीरियस थीं. हॉस्पिटल में इलाज के बाद वह ठीक होकर घर आ गईं, लेकिन इस दौरान वह खुद कोरोना संक्रमित हो गईं. वह घर में ही खुद को आइसोलेट कर अपना इलाज करने लगीं, लेकिन आरआरटी की तरफ से न तो कोई दवा दी गई, न फोन आया. बेतियाहाता निवासी राहुल भी कोरोना से पीड़ित थे. ए-सिंप्टोमेटिक होने के चलते होम आइसोलेशन में ही रह रहे थे. इस दौरान कोविड-19 गाइडलाइन के पालन में उन्होंने डाइट चार्ट के हिसाब से दवाई ली. 14 दिन में निगेटिव होने के साथ ठीक भी हो गए, लेकिन इंटीग्रेटेड कंट्रोल रूम से किसी भी तरह की कोई मदद नहीं मिली.