गोरखपुरःगोरखपुर की आदित्या यादव अपनी खेल प्रतिभा से पूरी दुनिया में गोरखपुर का और बैडमिंटन जैसे खेल का नाम रोशन कर रही हैं. आदित्या यादव बोलने और सुनने में सक्षम नहीं हैं. उनकी सफलता की कहानी ब्राजील में आयोजित हुए जूनियर विश्व डेफ (दिव्यांग) चैंपियनशिप से जुड़ी हुई है, जिसमें उन्होंने सिंगल और डबल मुकाबले में सिल्वर मेडल जीतने में कामयाबी हासिल की है. बहुत मामूली अंतर से वह गोल्ड मेडल जीतने से वंचित हुईं, जिस दौरान वह खेल का प्रदर्शन कर रही थी ऐसा लग रहा था कि, भारत की झोली में गोल्ड मेडल आ जाएगा. फिर भी 13 वर्ष की उम्र में इस होनहार बेटी ने अपने खेल प्रतिभा का जो प्रदर्शन किया है वह गोरखपुर नहीं, पूरे देश प्रदेश को गौरांवित करने वाला है.
सिंगल और डबल दोनों मुकाबले में हासिल की जीत
13 वर्ष की आदित्या यादव ने सेमीफाइनल में बेहतरीन खेल का प्रदर्शन दिखाते हुए फाइनल में जगह बनाई, जिसमें सिंगल और डबल दोनों मुकाबले में उन्होंने जीत हासिल की थी. बुधवार की रात खेले गए सिंगल फाइनल मुकाबले में आदित्या यादव यूक्रेन की सोफिया चेर्नोमोरामा से 22-20, 10-21 और 21-19 से हार गईं और सिल्वर मेडल से उन्हें संतोष करना पड़ा.
हार के बाद मिली बड़ी सफलता
वहीं, जूनियर वर्ग के डबल्स मुकाबले में जापान की याकबे और यूमें कातयामा की जोड़ी ने आदित्या और जेरलिन की जोड़ी को 21-17 और 21-12 से हराकर गोल्ड मेडल पर कब्जा कर लिया. हालांकि इस हार के बाद भी आदित्या को एक बड़ी सफलता मिली है. वह सीनियर डेफ विश्व चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई कर गई हैं. इसके अलावा वह सामान्य खिलाड़ियों की प्रतिस्पर्धा के लिए भी चयनित की गई हैं
पिता निभाते हैं कोच की भूमिका
आदित्या के कोच की भूमिका उसके पिता दिग्विजय यादव ही निभाते हैं, जो एक बेहतरीन बैडमिंटन के खिलाड़ी हैं और पूर्वोत्तर रेलवे में बतौर बैडमिंटन कोच के रूप में कार्यरत हैं, जिनके कुशल मार्गदर्शन में आदित्य इस खेल में लगातार बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं. बेटी के विजय की कहानी को मीडिया से शेयर करते हुए दिग्विजय ने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि उनकी बिटिया एक दिन देश के लिए न सिर्फ डेफ बल्कि सामान्य खिलाड़ियों की कैटेगरी में भी वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतने में कामयाब होगी. उन्होंने कहा कि ईश्वर ने अगर उससे बोलने और सुनने की क्षमता छीनी है तो उसे ऐसे हुनर में कामयाब बना रहे हैं, जिसकी गूंज हर किसी को सुनाई दे रही है.
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