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गोरखपुर के कान्हा उपवन में गायों की दुर्दशा, सरकारी दावों की पोल खुली - कान्हा उपवन गोरखपुर

प्रदेश में योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद से गोवंश के संरक्षण और पालन के लिए कई योजनाओं शुरू की गई. लेकिन जिले में संचालित गौशालाओं की हक्कीत सरकार के दावों से कही से भी मेल नहीं खा रही है. यहां तक की उनके चारे-पानी को लेकर भी समस्याएं सामने आ रही है.

कान्हा उपवन.
कान्हा उपवन.

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Published : Jul 14, 2023, 1:11 PM IST

Updated : Jul 14, 2023, 6:39 PM IST

Gaushalas for cow rearing

गोरखपुरःप्रदेश की योगी सरकार गौ पालन और संरक्षण को लेकर लगातार बड़े दावे करती रही है. लेकिन, जमीन स्तर पर गौ संरक्षण को लेकर सरकार की योजनाएं मानक के अनुरूप दिखाई नहीं दे रही हैं. जिले के कान्हा उपवन में छुट्टा और निराश्रित गोवंश को रखा जाता है. यहां गोवंश को रखने की अधिकतम संख्या 500 निर्धारित है. लेकिन मौजूदा समय में यहां 1400 से ऊपर गोवंश पशु रह रहे हैं. वहीं, जिले के 2 अन्य क्षेत्रों में बनाए गए गौशालों में भी पशुओं की संख्या अधिक है.

गौरतलब है कि गोवंश के खानपान की सामग्री भी महंगी होती जा रही है. वहीं, पशुओं के चारे के प्रतिदिन का हिसाब प्रति गोवंश 30 रुपये निर्धारित है. ऐसे में पशुओं को भूसा चारा देना भी बड़ा मुश्किल हो रहा है. इन अव्यवस्थाओं के बीच यह गौशाला संचालित हो रहे हैं. नगर निगम इसका देखभाल करता है और ठेकेदार व्यवस्था देखते हैं. नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल इस मामले पर कहते हैं कि गोवंश और निराश्रित पशुओं की संख्या को देखते हुए, एक अन्य जगह गौशाला बनाए जाने के लिए जमीन चिन्हित की गई है. इसका प्रस्ताव शासन को भेजा गया है. शासन से स्वीकृति मिलने के बाद इसका निर्माण होगा, तो गोवंश की पशुओं के रखरखाव की समस्या भी दूर हो जाएगी.

कान्हा उपवन.

बता दें कि गोरखपुर में कान्हा उपवन के अलावा जिले के गोला और खजनी में गौ संरक्षण केंद्र संचालित हैं. यहां की क्षमता 300 गोवंश पशुओं को रखने की है, जबकि यहां पर एक केंद्र में करीब 900 गोवंश रह रहे हैं. ऐसे में उनका पालन-पोषण कैसे होता होगा. इसका अंदाज आप खुद लगा सकते हैं. बरसात के दिनों में तो इन गोवंशों को और परेशानी में रहना पड़ता है. गोला और खजनी के गो संरक्षण केंद्र पर 4-4 शेड बनाए गए हैं. एक शेड में 75 गोवंश के रहने की व्यवस्था है, जो बड़ी संख्या होने की वजह से अपर्याप्त साबित हो रहे हैं.

ऐसी ही दशा शहर के फल मंडी के पास स्थित कान्हा गोशाला की है. जहां 550 गोवंश रखने की क्षमता है. लेकिन, मौजूदा समय में 1400 से भी अधिक गोवंश यहां पल रहे हैं. बता दें कि अगर किसी भी स्थान में क्षमता से 3-4 गुना भंडारण होता है, तो उस गौशाला की दशा किसी भी सूरत में सही नहीं मानी जाती. इन गोशालाओं की स्थिति एक तरह से प्रदेश के जिलों के जेलों के समान है, जहां निर्धारित कैदियों की संख्या से 2 से 2.5 गुना अधिक हैं. सरकारी गोशालाओं के अलावा 2 पंजीकृत अन्य गौशाला भी है, जिसमें गोविंद गौशाला खोराबार में 35 और संत कबीर गौशाला सहजनवा में 60 गोवंश पल रहे हैं. इसी प्रकार अपंजीकृत गोशालाओं में करीब ढाई सौ गोवंश पशु रखे गए हैं, जिनकी देखभाल बहुत जरूरी है.

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Last Updated : Jul 14, 2023, 6:39 PM IST

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