गोरखपुर: पैरालाइसिस जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे गोरखपुर नगर निगम के पूर्व पार्षद पीयूष कांत शुक्ला को उनके दौर के पार्षद मित्रों ने मिलकर अपनी तरफ से एक लाख 11 हजार रुपये की मदद मुहैया कराई है. इसके साथ ही पूर्व पार्षदों ने अपने बीमार मित्र को ऑटोमेटिक ट्राई साइकिल मंगाने का इंतजाम भी कर दिया है, जो बहुत जल्द उन्हें मिल जाएगी. मित्रों की मदद से पूर्व पार्षद के चेहरे पर मुस्कान आ गई है.
पूर्व पार्षद को पुराने मित्रों ने दी आर्थिक मदद. पूर्व केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ल हैं पीयूष कांत के अच्छे मित्र
22 मई 2017 से पैरालाइसिस के गंभीर अटैक की वजह से पीयूष कांत बिस्तर पर पड़े हैं. उनके शरीर का बायां हिस्सा पूरी तरह से काम नहीं करता. उन्हें बोलने में भी दिक्कत आती है. परिवार के लोगों की मदद से बड़ी मुश्किल से वो बैठते तो हैं, लेकिन खाने-पीने के लिए उनके सामने बड़ी समस्या पैदा होती है. इस बीच अपने पार्षद मित्रों से मदद पाकर वह बेहद खुश हुए हैं, लेकिन अभी भी उनकी आंखें अपने जिस मित्र के इंतजार में है, वह हैं पूर्व केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला, जो मौजूदा समय में राज्यसभा के सांसद हैं.
पूर्व केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ल पूर्व पार्षदों ने मित्र के लिए सीएम योगी से लगाई मदद की गुहार
पीयूष कांत वर्ष 1989 में गोरखपुर के पहले नगर निगम बोर्ड में भारतीय जनता पार्टी के पार्षद चुनकर पहुंचे थे. अपने बेहतरीन पांच साल के कार्यकाल की बदौलत अगले चुनाव में अपनी पत्नी को भी चुनाव जिताने में कामयाब रहे. इस दौरान वह राजनीतिक रूप से पूरी तरह सक्रिय रहे, लेकिन बीमारियों की चपेट में भी आते गए. इन्हें लीवर की गंभीर समस्या होने पर साल 2006 में पीजीआई में भर्ती होना पड़ा. तभी से उनकी तबीयत धीरे-धीरे बिगड़नी शुरू हो गई. इस दौरान उन्होंने अपने माता-पिता को भी खो दिया. अब पैरालाइसिस ने उन्हें पूरी तरह से तोड़कर रख दिया है.
बीमारियों से जूझ रहे पूर्व पार्षद धीर-धीरे आर्थिक रूप से कमजोर होते गए, लेकिन इन्हें कोई मदद नहीं मिली. हालांकि जब इनके पार्षद मित्रों को इसकी जानकारी लगी तो उन्होंने अपनी तरफ से एक लाख 11 हजार की सहायता की. नगर निगम के पूर्व उपसभापति सुरेंद्र जायसवाल के नेतृत्व में उनके घर जाकर पार्षदों ने यह मदद की राशि भेंट की. इस दौरान जायसवाल ने कहा कि जो संभव हुआ वह मदद की गई है. आगे भी हर संभव मदद की जाएगी. इसके साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी बीमार साथी को मदद देने की गुहार लगाई है, उम्मीद है कि योगी जी की मदद बहुत जल्द इन्हें मिलेगी.
मित्रों की मदद से भर आईं पीयूष कांत की आंखें
अपने दौर के पार्षद मित्रों से मदद पाकर, उन्हें करीब देखकर पीड़ित पीयूष कांत कुछ पल के लिए अपना दुख-दर्द भूल गए. उनकी आंखें भर आईं. उन्हें लगा जैसे अब उनका दर्द दूर हो जाएगा, लेकिन इन सबके बीच उन्हें अपने जिस अभिन्न मित्र की कमी अभी तक खल रही है, वह हैं पूर्व केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला, जो पिछले पांच सालों में उनका हालचाल जानने सिर्फ एक बार पहुंचे हैं. पीयूष कांत कहते हैं कि शिवप्रताप उन्हें मदद भले न करें, लेकिन एक बार मिलने ही जाते तो उनका दर्द कुछ कम हो जाता. विधानसभा चुनाव लड़ाने से लेकर बाकी दिनों में वह और शिव प्रताप ने मित्रता का जो जीवन जिया है, उसकी याद इस संकट की घड़ी में बार-बार आती है.