गोरखपुर: भारतीय स्त्री रोग विशेषज्ञ संघ कुल 37,000 स्त्री रोग विशेषज्ञों की एक संस्था है. यह संघ देशव्यापी अभियान चलाकर महिलाओं और लड़कियों का सर्वाइकल व ब्रेस्ट कैंसर के प्रति प्रशिक्षण व जांच निःशुल्क करा रहा है. इसकी शुरुआत 8 मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन से हुई है.
भारत में 123,907 सर्वाइकल कैंसर रोगी मिलते हैं
बच्चेदानी के मुंह का कैंसर पूरे विश्व के 16% रोगी भारत में पाए जाते हैं. ग्लोबल कैंसर स्टैटिक्स के अनुसार, भारत में प्रत्येक वर्ष 123,907 सर्वाइकल कैंसर के रोगी मिलते हैं, जिनमें से 77,348 महिलाओं की इस रोग के कारण मौत हो जाती है. इस कैंसर का पता शुरुआती समय में ही हो जाता है. अगर समय से इसका उपचार हो तो महिलाओं को बचाया जा सकता है.
फोगसी (भारत प्रसूति एवं स्त्री रोग संबंधी संघ) ने इस कैंसर के उन्मूलन के लिए पब्लिक, एजुकेशन, एचपीवी टीकाकरण का संकल्प लिया है. भारतीय स्त्री रोग विशेषज्ञ संघ की गोरखपुर शाखा कोषाध्यक्ष डॉ. सूफिया अब्बासी ने बताया कि महिलाओं में पाए जाने वाले प्रत्येक 4 कैंसर में से एक स्तन कैंसर होता है. वर्तमान समय में कम उम्र की महिलाओं में भी स्तन कैंसर मिल रहा है. लगभग 48% पीड़ित महिलाएं 50 वर्ष से कम उम्र की होती हैं.
बताया कि साल 2018 में भारत में लगभग 87,000 महिलाओं की मृत्यु स्तन कैंसर से हुई थी. भारत में संकोच और ज्ञान के अभाव में महिलाएं डॉक्टर के पास नहीं जाती हैं. उस समय तक बीमारी काफी हद तक बढ़ जाती है. जिसके कारण समुचित इलाज नहीं हो पाता. यदि शुरुआती अवस्था में ही स्तन कैंसर को पहचान लिया जाए तो इलाज संभव है. महिलाओं को इस बात के लिए जागरूक करना बेहद जरूरी है.
डॉ. सूफिया अब्बासी ने बताया कि संघ ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस से ही सर्वाइकल कैंसर व ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग के तहत प्रशिक्षण व जांच का आयोजन शुरू किया है. शहर के 30 विभिन्न स्थानों पर कैंप लगाकर महिलाओं का प्रशिक्षण व जांच किया जा रहा है. इस शिविर में स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा प्रशिक्षण, पैप स्मीयर व वीआईए जांच भी किया जा रहा है. अभियान के तहत फोगसी ने पूरे देश में 50,000 से ज्यादा महिलाओं की जांच का लक्ष्य रखा है.
26 सौ रुपये की एक डोज
संघ के गोरखपुर शाखा की सचिव डॉ. मीनाक्षी गुप्ता ने बताया कि उन्होंने केंद्र सरकार से यह मांग की है कि एचपीवी (ह्यूमन पेपिलोमा वायरस) टीकाकरण को राष्ट्रव्यापी पैमाने पर किया जाए. प्राइवेट में एचपीवी टीका की पहली डोज लगभग 26 सौ रुपये की होती है, जो सभी के लिए लगा पाना संभव नहीं है. 9 से 13 साल की बच्चियों में यदि यह टीकाकरण समय रहते किया जाए तो आगामी 2030 तक देश को कैंसर मुक्त किया जा सकेगा. ऐसे में सरकार को पोलियो और अन्य अभियानों की तरह इसे भी उन्मूलन अभियान में शामिल करना चाहिए.