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भारत के पहले गिद्ध संरक्षण केंद्र से "राज गिद्ध" को बचाने और बढ़ाने की पहल

गोरखपुर में भारत का पहला गिद्ध संरक्षण और प्रजनन केंद्र बनाया जा रहा है. इसमें लाल गर्दन वाले राजगिद्ध और अन्य विलुप्त प्रजातियों के सरंक्षण और बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा.

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Published : Jul 28, 2022, 9:45 PM IST

भारत के पहले गिद्ध संरक्षण केंद्र
भारत के पहले गिद्ध संरक्षण केंद्र

गोरखपुर: जनपद में देश का पहला गिद्ध सरंक्षण और प्रजनन केंद्र बन रहा है. इसके बनने से आने वाले समय में पर्यावरण संरक्षण और गिद्धों की प्रजाति को तैयार करने में सफलता मिलेगी. राजगिद्ध की उपाधि से नवाजे जाने वाले लाल गर्दन के गिद्ध(red neck vulture) के साथ अन्य प्रजाति के भी गिद्ध लगभग 95 प्रतिशत समाप्त हो चुके है. इनकी संख्या बढ़ाने के लिए कैम्पियरगंज वन क्षेत्र में गिद्ध संरक्षण और प्रजनन केंद्र का निर्माण तेजी से हो रहा है.

पूर्वांचल में गोरखपुर, महाराजगंज और सिद्धार्थ नगर क्षेत्र में गिद्धों की संख्या अधिक पाई जाती थी. लेकिन, अब गिद्ध विलुप्त से हो गए हैं. यही वजह है कि प्राकृतिक संतुलन, पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से इनके संरक्षण और पालन पर जोर देने की कवायद शुरू हुई है. रामायण में जिस जटायु का वर्णन किया गया है, वह इसी लाल गर्दन वाले गिद्ध की प्रजाति के थे. इसके लिए भारत सरकार ने पहला गिद्ध संरक्षण केंद्र गोरखपुर से नेपाल रोड पर बनाना शुरू कर दिया है. यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है जो धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है.

राज गिद्ध को बचाने की पहल

करीब 15 करोड़ की लागत से यह परियोजना पूरी की जाएगी. निर्माण के साथ अन्य संसाधनों और तकनीकी जरूरतों को पूरा करने पर यह पूरा बजट खर्च होगा. लगभग दो करोड़ का काम वर्तमान में चल रहा है. गोरखपुर के डीएफओ विकास यादव ने कहा है कि पहले दो गिद्धों के माध्यम से यहां पर संरक्षण और प्रजनन का कार्य शुरू होगा. दो से 4 महीने में यह संख्या बढ़ाकर पांच तक की जाएगी. फिर इनसे ही प्रजनन दर को बढ़ाते हुए यह संख्या 25 तक पहुंचाई जाएगी.

उन्होंने कहा कि लाल गर्दन वाले गिद्ध (red headed) पर्यावरण को बहुत लाभ पहुंचाते हैं. लेकिन, इनकी संख्या का कम होना चिंता का विषय था. जिसे शायद अब इस गिद्ध संरक्षण केंद्र (Vulture Conservation Center)के माध्यम से दूर किया जा सकेगा. उन्होंने कहा कि जब गिद्ध ज्यादा संख्या में तैयार हो जाएंगे, तो इन्हें आसपासके जंगलो और वन्य क्षेत्रों में छोड़ा जाएगा. यह प्रोजेक्ट कुल 15 वर्षों का है. इसके तहत युद्ध स्तर पर इंफ्रास्ट्रक्चर को तैयार करने का काम हो रहा है.

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साथ ही इस संरक्षण केंद्र में गिद्धों के बाडे, डॉक्टर का ब्लॉक और प्रशासनिक कार्यालय भी निर्मित किए जा रहे हैं. यह केंद्र सीसीटीवी युक्त होगा जिससे संरक्षण केंद्र की सभी गतिविधियों पर पूरी नजर रखी जा सकेगी. उन्होंने कहा कि अब यह अति महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट गोरखपुर के हिस्से में आया. यह गोरखपुर के लिए गौरव की बात है. वन विभाग के साथ वन्यजीवों के क्षेत्र में काम करने वाले अधिकारियों और वन्य प्रेमियों को भी इससे काम करने का बड़ा अवसर मिलेगा.

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