पराली से होगी पर्यावरण की रखवाली गोरखपुर: 'पराली' यानी कि धान की फसल का अनुपयोगी हिस्सा, जिसे किसान जानवरों को खिलाने में उपयोग करते है या फिर जला देते हैं. सरकार पराली जलाने पर रोक लगाने का लगातार प्रयास कर रही है. जिससे खेत का उपजाऊ पर बना रहे और पर्यावरण को भी नुकसान न हो. फिर भी पराली जलाने सूचनाएं सामने आती ही रहती हैं. इसी कारण इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने पराली के बेहतर उपयोग का विकल्प तैयार किया है. इसके लिए गोरखपुर में प्रदेश का पहला पराली आधारित बायो कंप्रेस्ड गैस प्लांट बनाया गया है. इस प्लांट में ऑर्गेनिक खाद और गैस बनकर तैयार होगी. जिससे CBG गैस पर चलने वाले वाहनों को आसानी से गैस मिल सकेगी. वहीं, 70 हजार टन पराली की खपत केवल गोरखपुर क्षेत्र से होगी. इसी के साथ कार्बन डाइऑक्साइड से ग्लोबिंग वार्मिंग की समस्या के समाधान में यह प्लांट कारगर साबित होगा. कृषि विभाग की निगरानी में प्लांट संचालित होगा.
पराली से किसानों की आयेगी खुशहाली 22 टन गैस का प्रतिदिन उत्पादन होगाःइंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के अधिकारी पीसी गुप्ता ने ईटीवी भारत को बताया कि कंपनी ग्रीन एनर्जी पर काम कर रही है. इसके तहत गोरखपुर में पराली आधारित प्रदेश का पहला प्लांट स्थापित किया गया है. इस प्लांट में तैयार बायो कंप्रेस्ड गैस से 5 से 7 लाख करोड़ रुपये जो विदेशी मुद्रा, क्रूड आयल खरीदने में सरकर खर्च करती है वह बचेगा. इससे 125 टन जैविक खाद प्रति दिन निकलेगी. इसके साथ ही 22 टन गैस का प्रतिदिन उत्पादन होगा. सरकार इसके माध्यम से एक लाख 50 करोड़ की सब्सिडी जो खाद पर देती है उसकी बचत होगी.
् यूपी का पराली आधारित प्लांट 18 सौ रुपये टन खरीदी जाएगी परालीःपीसी गुप्ता ने बताया कि पराली का मूल्य किसानों और कंपनी के आपसी तालमेल के आधार पर तय होगा. अनुमान है कि करीब अट्ठारह सौ रुपये प्रति टन किसानों से खरीदा जाएगा. क्योंकि किसान लगभग सौ टन पराली में सिर्फ 25 टन ही अपने उपयोग में लाता है, बाकी बेकार जाता है या जला देता है. पराली जलाने से जमीन की उर्वरा शक्ति नष्ट होती है. उन्होंने बताया कि प्लांट से स्वच्छ भारत मिशन और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी बड़ा फायदा है. इस प्लांट के लिए 50 एकड़ भूमि ली गई है, जिसमें 18 एकड़ में सिर्फ प्लांट स्थापित है. प्लांट के निर्माण में करीब 150 करोड़ की लागत आई है. इससे तैयार गैस की कीमत समय के साथ तय होती रहेगी. यह गैस इंडियन ऑयल के पेट्रोल पंप से गोरखपुर और आसपास के जिलों में भी बेची जाएगी. पीसी गुप्ता ने बताया कि इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन की टीम इस प्लांट को चलाने के लिए जिले के कृषि विभाग से समन्वय स्थापित कर आगे बढ़ रहा है. किसानों को प्रोत्साहित करने, उन्हें कृषि आधारित और पराली की कटाई छटाई के लिए, कृषि यंत्रों की उपलब्धता कृषि विभाग के माध्यम से होगी. साथ ही किसानों का कहीं से उत्पीड़न न हो इस पर भी कृषि विभाग नजर रखेगा.
यूपी का पराली आधारित प्लांट किसानों के लिए बड़ी लाभकारी योजनाः गोरखपुर मंडल के डिप्टी डायरेक्टर एग्रीकल्चर अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि किसानों को कृषि यंत्रों पर दी जाने वाली छूट में कृषि विभाग की तरफ से 50% और नेडा की तरफ से 30% की छूट दी जाएगी. उन्होंने कहा कि यह योजना किसानों के लिए बड़ी लाभकारी होगी. क्योंकि पिछले साल पराली से आग लगने की चालीस से ज्यादा घटनाएं हुई थी. जिले में एक लाख दस हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की खेती होती है. जिससे करीब 5 लाख 50 हजार टन पराली का उत्पादन होता है. जिससे इस प्लांट के संचालन में कहीं कोई दिक्कत पराली को लेकर नहीं आने वाली है.
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