गोरखपुर: गोरखपुर के खाते में एक बड़ी उपलब्धि दर्ज होने जा रही है. यहां पर देश के पहले 'किंग वल्चर' (गिद्ध की सबसे अच्छी प्रजाति) संरक्षण और प्रजनन केंद्र बनाने के लिए राज्य सरकार ने हरी झंडी दे दी है, जिसको केंद्र से भी सहमति मिल गई है. करीब पांच करोड़ के इस प्रोजेक्ट के लिए 83 लाख रुपये की पहली किश्त भी आवंटित हो गई है.
वन विभाग द्वारा तैयार की गई डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट पर 26 और 27 जुलाई को शासन स्तर पर फाइनल बैठक करने के बाद गोरखपुर के कैंपियरगंज क्षेत्र में इसकी आधारशिला को रखे जाने की तिथि भी तय हो जाएगी. इस केंद्र के स्थापित हो जाने से जहां विलुप्त हो रहे एक खास प्रजाति के पक्षी का संरक्षण और संवर्धन होगा. वहीं प्रजनन के जरिए इसकी संख्या को बढ़ाकर प्रकृति में होने वाले असंतुलन को भी ठीक किया जाएगा.
किंग वल्चर प्रजाति के संरक्षण पर जोर :20 सितंबर 2019 को गिद्ध संरक्षण पर कार्य कर रहे बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. विभु प्रकाश ने जिले के कैंपियरगंज वन क्षेत्र के भारी वैसी गांव का निरीक्षण किया था. उन्होंने यहां पर गिद्ध संरक्षण और प्रजनन केंद्र के लिए अनुकूल वातावरण पाए जाने की रिपोर्ट दी थी. इसके बाद वन विभाग इस प्रोजेक्ट पर काफी सक्रिय हो गया और अंततः उसे सफलता मिली. राज्य और केंद्र सरकार की तरफ से गिद्धों की सबसे अच्छी प्रजाति 'किंग वल्चर' के संरक्षण और प्रजनन केंद्र की बहुत जल्द यहां आधारशिला रख दी जाएगी.
डीएफओ अविनाश कुमार ने बताया कि देश में कुल 9 प्रजाति के गिद्ध पाए जाते हैं. पिंजौर में स्थापित केंद्र भी अच्छा काम कर रहा है, लेकिन किंग वल्चर का अपना अलग ही महत्व है. यह सुडौल और लाल कंधे वाला होता है. इनका संरक्षण और प्रजनन बढ़ने से प्रकृति में कई तरह के स्थापित हो रहे असंतुलन अपने आप समाप्त हो जाएंगे, क्योंकि यह सड़े-गले मांस से प्रकृति को प्रदूषित होने और नदियों के जल को भी प्रदूषित होने से बचाते हैं. डीएफओ ने कहा कि किंग वल्चर के प्रजनन और संरक्षण पर जोर दिया जा रहा है, जिसका बड़ा केंद्र गोरखपुर होगा. उन्होंने कहा कि इनकी वजह से वॉटर बोन डिजीज में भी कमी लाई जा सकेगी.