गोरखपुर: कभी चीनी का कटोरा कहे जाने वाला पूर्वांचल का क्षेत्र मौजूदा समय में चीनी के उत्पादन और गन्ने की पैदावार दोनों में बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. चीनी मिलों की बंदी जहां इसका प्रमुख कारण है तो वहीं चालू चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का अभी भी करोड़ों रुपये भुगतान के लिए बकाया है. यही वजह हैं कि गन्ने के किसान इसकी पैदावार से मुंह मोड़ रहे हैं. कोरोना की महामारी ने भी इस वर्ष गन्ना उत्पादन क्षेत्रफल को काफी प्रभावित किया है. हालांकि विभागीय पहल उत्पादन के लिए हुई तो जरूर पर इसमें कोई सफलता नहीं मिल सकी.
कोरोना का दिखा असर
कोरोना संक्रमण के चलते मिलों की चीनी बिकने में जहां कठिनाई हुई तो इससे गन्ने का भुगतान भी प्रभावित हुआ. मार्च और अप्रैल का महीना गन्ने की बुवाई का समय होता है, लेकिन लॉकडाउन के प्रथम चरण की वजह से बुवाई चौपट हो गई.
चीनी मिलों पर किसानों का करोड़ों रुपये बकाया
गोरखपुर-बस्ती मंडल में मौजूदा समय में कुल 6 चीनी मिलें संचालित हो रही है. जबकि एक समय में यहां पर 14 चीनी मिले हुआ करती थीं. मिलों पर बकाये की बात करें तो देवरिया में जनवरी से अब तक किसानों का भुगतान नहीं मिला है. महराजगंज जिले की गड़ौरा चीनी मिल साल 2018-19 में ही बंद हो गई थी, जिस पर किसानों का करीब 25 करोड़ रुपये बकाया है. सरकार गन्ना मूल्य बढ़ाकर भले ही किसानों को मीठा एहसास कराए, लेकिन मिलों से भुगतान की प्रक्रिया लंबित होने से यह मिठास किसानों के लिए तीखा बन गया है.
आखिर कब मिलेंगे 460 करोड़
अप्रैल 2020 में पेराई सत्र खत्म होने के बाद गोरखपुर-बस्ती मंडल के चार लाख से अधिक गन्ना किसानों को अपनी मेहनत की कमाई के 460 करोड़ रुपये का इंतजार है, जो मिल नहीं रहा. किसान मिलों के अधिकारियों के चक्कर तो लगा रहे हैं, लेकिन उनके हाथ खाली हैं. बस्ती की अठदमा और मुंडेरवा चीनी मिल को 1.31 लाख से अधिक किसानों ने 629.74 करोड़ का गन्ना दिया था, लेकिन भुगतान 440.89 करोड़ रुपये का ही हुआ. किसानों का अभी भी 188.85 करोड़ रुपये बकाया है.