उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

गोरखपुर: गीडा में स्थापित फैक्ट्रियों को खुद करना होगा प्रदूषण नियंत्रण का उपाय

गोरखपुर में स्थापित फैक्ट्रियों को अपने यूनिट से निकलने वाले कचरे और प्रदूषण नियंत्रण के उपाय खुद करने होंगे. गीडा प्रशासन ने इसके लिए निर्देश जारी कर दिए हैं. बढ़ते प्रदूषण की समस्या को देखते हुए इसके निराकरण पर यह सहमति बनी.

गीडा में स्थापित फैक्ट्रियों को खुद करना होगा प्रदूषण नियंत्रण का उपाय
गीडा में स्थापित फैक्ट्रियों को खुद करना होगा प्रदूषण नियंत्रण का उपाय

By

Published : Sep 25, 2020, 1:50 AM IST

गोरखपुर: गीडा (गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण ) में स्थापित फैक्ट्रियों को अपने यूनिट से निकलने वाले कचरे और प्रदूषण को खुद साफ करना होगा. गीडा प्रशासन ने इसके लिए निर्देश जारी कर दिए हैं. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की पहल पर गीडा प्रशासन ने यह फैसला लिया है. आए दिन गीडा क्षेत्र में प्रदूषण की समस्या को लेकर हो-हल्ला मचता है और भूगर्भ जल भी प्रदूषित होते हुए पीला हो गया है. लिहाजा गीडा प्रशासन ने औद्योगिक क्षेत्र में संचालित छोटी-बड़ी 450 फैक्ट्रियों के मालिकों को इसके उपाय के लिए स्थापित की जाने वाली सीईटीपी (कॉमन इंफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट) में हर हाल में शामिल होने का निर्देश दिया है.

गीडा में स्थापित फैक्ट्रियों को खुद करना होगा प्रदूषण नियंत्रण का उपाय

76 करोड़ रुपये से स्थापित होगा सीईटीपी प्रोजेक्ट
गीडा के सीईओ संजीव रंजन की मानें तो करीब 76 करोड़ रुपये से स्थापित होने वाले सीईटीपी प्रोजेक्ट के लिए नमामि गंगे परियोजना में प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है, जिसकी स्वीकृति मिलना तय माना जा रहा है. इस परियोजना के साथ बस एक ही शर्त लागू की गई है, जिसमें प्लांट के स्थापित होने के बाद सीईटीपी के संचालन पर प्रतिवर्ष तीन से चार करोड़ रुपये के आने वाले खर्च को औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित फैक्ट्रियों को वहन करना है.

उन्होंने कहा कि गीडा प्रशासन ने फैक्ट्री मालिकों को इससे अवगत करा दिया है. फैक्ट्री की क्षमता के अनुरूप उसपर आने वाले खर्च का विवरण उन्हें उपलब्ध कराया जाएगा. उन्होंने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों का पालन कराना उनकी जिम्मेदारी है और सीईटीपी लगाने के लिए जल निगम तैयार भी हो गया है.

प्लांट को चलाने का खर्च उद्यमी उठाएंगे
औद्योगिक क्षेत्र में दो चरणों में 15 एमएलडी क्षमता का सीईटीपी प्लांट लगाए जाने की मंजूरी मिल चुकी है. पहले चरण में 7.5 एमएलडी क्षमता का प्लांट लगेगा. जिसके जरिए फैक्ट्रियों से निकलने वाले दूषित जल का शोधन किया जाएगा. शोधित जल का दोबारा इस्तेमाल भी किया जा सकता है. इस प्लांट को चलाने का खर्च उद्यमी आपसी सामंजस्य से उठाएंगे. इस बीच भविष्य में लगने वाली फैक्ट्रियों को भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों का पालन करना होगा.

गीडा में बढ़ते प्रदूषण की समस्या को देखते हुए मंडलायुक्त जयंत नारलीकर और सीईओ संजीव रंजन की मौजूदगी में उद्यमियों की एक बैठक भी हुई थी. जिसमें इसके निराकरण पर सहमति बनी थी. बहुत जल्द ही इसका रेवन्यू मॉडल भी तैयार कर लिया जाएगा, जिससे उद्यमियों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा.

ABOUT THE AUTHOR

...view details